Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • पश्चाताप

       (0 reviews)

    स्कूल के वार्षिक समारोह में रामू को पढ़ाई, खेलकूद व अन्य गतिविधियों में श्रेष्ठ छात्र का पुरस्कार दिया जा रहा था। पुरस्कार लेने के बाद जैसे ही वह मंच से नीचे उतर का माँ के पास पहुँचा तो उसकी नजर अपने दोस्तों पर पड़ी जो उसे नफरत भरी नजरों से देख रहे थे। उसमें से कुछ दोस्त उसकी माँ पर हँस भी रहे थे। क्योंकि वह एक आँख से वंचित थी।

     

    इस घटना के बाद से रामू के मन में भी माँ के प्रति हीन भावना पैदा हो गई। उसे लगने लगा कि हर क्षेत्र में आगे रहने के बावजूद भी लोग उसे तिरस्कार की भावना से देखते हैं। मन ही मन इसके लिए वह माँ को दोषी मानने लगा। परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे उसके मन में माँ के प्रति एक दूरी पनप गई। समय बीतता गया और माँ से उसकी दूरियाँ बढ़ती रही। बड़े होने पर राम सफसफल व्यवसायी बन गया। उसके पास सुखी परिवार, धन, सम्पदा, सब कुछ था। गाँव तो वह कभी का छोड़ चुका था। साथ ही माँ से दूर रहने के कारण वह खुद को बचपन की उस हीन भावना से मुक्त महसूस कर रहा था।

     

    समय गुजरता गया। एक दिन उसे गाँव के स्कूल का पत्र मिला जहाँ सभी पुराने विद्यार्थियों को एक समारोह में बुलाया गया था। स्कूल समारोह से लौटने के बाद जिज्ञासावश रामू अपने पुराने घर पहुँचा, जहाँ उसका बचपन बीता था। मकान वीरान पड़ा था। अब तक माँ की मृत्यु हो चुकी थी। घर के भीतर पुरानी चीजें टटोलते हुए अचानक उसका हाथ एक पुराने तुड़े-मुड़े कागज के टुकड़े पर पड़ा। उसने उसे गौर से देखा तो वे माँ के अक्षर थे। लिखा था- 'प्रिय बेटे रामू मेरी एक आँख हमेशा तुम्हारी शर्मिदगी का कारण बनी। मुझे इसका दु:ख रहा लेकिन कुछ चीजों पर किसी का नियंत्रण नहीं होता। बेटे! जब तुम बहुत छोटे थे तब एक दुर्घटना में तुम्हारी एक आँख चली गई थी। मैं तुम्हें एक आँख के साथ बड़ा होते नहीं देख सकती थी। इसलिए मैंने तुम्हें अपनी एक आँख दान कर दी थी। यह जानकर तुम परेशान मत होना, मैं जानती हूँकि तुम आज भी मुझसे बेहद प्यार करते हो।" यह पढ़कर रामू अवाक् खड़ा रह गया। अचानक उसे अपने जीवन में सब कुछ निरर्थक प्रतीत हो रहा था। उसकी आँखें तो खुलीं लेकिन माँ की आँखें बन्द होने के बाद।

     

    सच है बिना विचारे जो करे सो पीछे पछताए।


    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...