अतिथि सत्कार हेतु पात्र की विशेषताएँ - करपात्री, पदयात्री, विनीत, निश्छल, सदाशयी इत्यादि। नगर के महासेठ ने सपना देखा-भिक्षार्थी महासन्त का स्वागत । कुम्भ लेने सेवक पहुँचता है कुम्भकार के पास, सेवक ने बताई सपने की बात सुनकर कुम्भकार की प्रसन्नता । सेवक द्वारा कुम्भ की परीक्षा, अग्नि की अग्नि परीक्षा, कुम्भ से उभरे स्वर सा रे ग म । सेवक चमत्कृत हुआ।
कुम्भ के बदले में धन देने की बात, कुम्भकार द्वारा अस्वीकार, यह कहकर कि आज दान का दिन है लेन-देन का नहीं, धन के बदले धन्यवाद दे, कुम्भ ले सेवक चला घर की ओर। सेवक से कुम्भ अपने हाथ में ले सेठ कुम्भ सजाता है स्वस्तिक, श्रीफल, पान। श्रीफल की कठोरता पत्रों की मृदुता- मुक्ति पथ की बात, कुम्भ चन्दन की चौकी पर।