Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • 3. जलती हुई अग्नि

       (0 reviews)

    यहाँ बाधक कारण कोई और ही है और वह है स्वयं अग्नि। मैं तो जलना चाहती हूँ पर अग्नि ही मुझे जलाना नहीं चाहती, इसका कारण तो वह स्वयं जाने। लकड़ी की बात सुन, शिल्पी सोच-विचार में डूब जाता है कि प्रासंगिक कार्य को पूर्ण करने हेतु अग्नि से कैसे, क्या कहूँ? क्या वह मेरे मन की बात समझ सकेगी, क्या मेरी बात को पूर्ण करने के लिए, इच्छा रूपी प्यास बुझाने के लिए अग्नि जल के समान शीतल, मधुर बन सकेगी?

     

    यदि मेरी बातें सुनकर और क्रोधित हो उठी तो, यूँ शंका मन में रखता हुआ शिल्पी पुनः एक बार और अग्नि जलाता है-लो जलती हुई अग्नि कहने लगी-इस बात को मैं भी मानती हूँ कि अग्नि परीक्षा के बिना किसी को भी आज तक मुक्ति का लाभ नहीं मिला और न ही भविष्य में मिलेगा। जब यह नियम है तो अग्नि की अग्नि परीक्षा नहीं होगी क्या? मेरी परीक्षा कौन लेगा?

     

    मैं स्वयं अपने आपको पूर्णतः सफल परीक्षक कह नहीं सकती और फिर झूठा निर्णय लेकर ही अपने आपको प्रामाणिक मानना मुझे ठीक नहीं लगता क्योंकि -

     

    "अपनी आँखों की लाली

    अपने को नहीं दिखती है।" (पृ. 276)

    अर्थात् अपने दोष स्वयं को देखने में नहीं आते और जो दूसरों के लिए परीक्षक बना हो वह स्वयं के लिए भी बन सके, कोई नियम नहीं है। अपने जीवन में सदा अच्छा उद्देश्य बनाए रखना एवं सात्त्विक आचरणमय जीवन बनाना ही, सही कसौटी समझती हूँ मैं। फिर कुम्भ को जलाना तो दूर रहा किन्तु जलाने का भाव भी मन में लाना, पाप समझती हूँ शिल्पी जी। तभी अग्नि और शिल्पी के बीच चल रही वार्ता को सुन रहा कुम्भ, अवा के भीतर से ही विनयपूर्वक अग्नि से कहता है -

     

    "शिष्टों पर अनुग्रह करना

    सहज-प्राप्त शक्ति का

    सदुपयोग करना है, धर्म है।

    और,

    दुष्टों का निग्रह नहीं करना

    शक्ति का दुरुपयोग करना है, अधर्म!" (पृ. 276)

    सत् पुरुषों पर उपकार करना, पुण्योदय से प्राप्त बल का सदुपयोग करना ही धर्म है सुख का साधन तथा दुर्जनों की दुर्जनता, बुराईयों को दूर नहीं करना भी प्राप्त शक्ति का दुरुपयोग करना, अधर्म है।



    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...