वल क्षेत्र की ओर नहीं, आचरण को जीवन में धारण करके देखो तुम्हें श्रमण-साधना की सही-सही पहचान होगी, क्योंकि ऊपर से नीचे देखने पर माथा घूमने लगता है चक्कर आता है और नीचे से ऊपर की ओर देखने पर उपरिल वस्तु का अनुमान गलत निकलता है जैसे बहुत बड़ा विमान भी छोटा-सा दिखता है इसीलिए इन-
"शब्दों पर विश्वास लाओ,
हाँ, हाँ !!
विश्वास को अनुभूति मिलेगी
अवश्य मिलेगी
मगर
मार्ग में नहीं मंजिल पर!"(प्र. ४८८)
कहे गये शब्दों पर विश्वास रखो, निश्चित तुम्हारे विश्वास को अनुभूति मिलेगी लेकिन रास्ते पर नहीं मंजिल में, लक्ष्य मिलने पर ही इतना कहकर सन्त महामौन में डूब जाता है और माहौल को अपलक निहारती सी-मूकमाटी!