रसों के विषय में शिल्पी की स्तब्धता देख करुणा रो पड़ी, सो शिल्पी करुणा की सीमा, सही स्थिति समझाता है। करुणा का शान्त रस में अन्तर्भाव भी नहीं मानना चाहिए, कहता हुआ दोनों की तुलना करता है, करुणा जल के समान बदलने वाली है तो शान्त रस बर्फ के समान स्थिर। शान्त रस में वात्सल्य रस का भी मिश्रण नहीं। माँ की गोद में मुख पर आँचल प्ले दूध पीता बालक के दृष्टान्त से शान्त रस के संवेदन की प्रक्रिया का व्यतिकरण। अन्त में शान्त रस की श्रेष्ठता कि वह संयत रत धीमान को ओम् यानि भगवान् बना देता है। इस प्रकार सभी रसों का अन्त होना ही शान्त रस है, सिद्ध करता है शिल्पी।