Jump to content
सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • 28. सही श्रृंगार : चेतन का

       (0 reviews)

    श्रृंगार को कुछ बोध रूपी धन प्रदान करता हुआ शिल्पी कहता है- इस बात को स्वीकार करो अथवा ना करो, किन्तु संसार का हर एक प्राणी सुख चाहता है। रागी धन कमाकर, उसे इकट्ठा कर, विषय-भोग की सामग्री जोड़ कर तो त्यागी-वीतरागी परमार्थ केवलज्ञान अथवा निज शुद्ध आत्मा को उपलब्ध कर सुखी होना चाहता है। एक इन्द्रिय सुख को सुख मानता है तो दूसरा अतीन्द्रिय, आत्मिक सुख को सुख मानता है। सच्चा सुख कौन प्राप्त करता है, यह तो अपने उपादान1, सम्यग्ज्ञान पर ही आधारित है।

     

    बाहरी इन्द्रिय सुख क्षणभंगुर (शीघ्र नष्ट होने वाला) कर्मों के आधीन, बाधासहित, सुखाभास मात्र है जबकि अतीन्द्रिय सुख स्वाधीन, शाश्वत, निराबाध है। सही श्रृंगार करना चाहते हो, जीवन को सुखी बनाना चाहते हो तो भीतर चेतना की ओर देखो, उसे अलंकृत करो, सजाओ-संवारो। शिल्पी श्रृंगार रस की कोमलता को उसकी अनित्यता (नश्वरता) का बोध कराता हुआ कुछ पूछता है -

     

    "किसलय ये किसलिए

    किस लय में गीत गाते हैं?

    किस वलय में से आ

    किस वलय में क्रीत जाते हैं?

    और

    अन्त अन्त में श्वास इनके

    किस लय में रीत जाते हैं? "(पृ. 141)

     

    पेड़ की नई पत्तियां किसलिए आई, कैसे बड़ी हुई, पुरानी हुई कैसे पर्याय से आई, किस पर्याय में चली गई, बदल गई। और अन्त में सूखकर गिर जाती हैं, क्यों? यही तो संसार की अनित्यता है, कौन कहाँ से आता है कब तक रहता है, क्यों रहता है कहाँ चला जाता है इसकी किसे खबर है। तुम्हारी कोमलता, युवावस्था कब तक रहेगी, कुछ समय तक बस! इसलिए अर्थ और इन्द्रिय सुख में सुख मानने वालों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अर्थ की नहीं, परमार्थ की चाह होनी चाहिए।

     

    उपादान = भीतरी योग्यता।



    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...