शिल्पी द्वारा माटी को छाना जाता हे नीचे गिरी मृदु माटी का स्पर्श कर प्रसन्न होता शिल्पी, किन्तु माटी से पृथक् हुए कंकरों द्वारा क्रोध का प्रदर्शन। पृथक् करने का कारण-संकर दोष का वारण सुन, वर्णसंकर की चर्चा और शिल्पी द्वारा वर्ण का सही-सही अर्थ चालचरण ढंग बताना। पश्चात् कंकरों की कमी-माटी में घुलना नहीं, फूलना नहीं, पर के दुख-दर्द देख पिघलना नहीं। हिमखण्ड के प्रतीक द्वारा मान की बात माटी की शालीनता द्वारा । माटी की देशना जल स्वभाव और हिम विभाव के रूप में। कंकरों को भूल ज्ञात हुई और माँ माटी से मन्त्र की माँग-जिससे यह हीरा बने और खरा बने कंचन–सा, माटी की मुस्कान द्वारा माँग की पूर्णता।