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सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • सोपान 1. माटी की वेदना : धरती की निर्देशना

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    मूकमाटी महाकाव्य को प्रारम्भ करते हुए कवि ने प्रथम ही प्रात:कालीन प्राकृतिक वातावरण के सौन्दर्य का वर्णन किया। सूर्योदय के पूर्व सन्धिकाल के महत्त्व को दर्शाते हुए, बहती हुई सरिता का सन्देश दिया गया। सरिता तट की माटी ने अपनी अन्तर्वेदना माँ धरती से कही और पूछा कि मेरा जीवन उन्नत बनेगा कि नहीं।

     

    करुणा से भीगी माँ धरती ने माटी को सम्बोधन दिया–सत्ता प्रतिसत्ता का रहस्य, संगति का महत्व, आस्था की बात, साधना की रीत, पथ की घाटियाँ, प्रतिकार अतिचार का परिणाम, सही-सही पुरुषार्थ का स्वरूप और अन्त में संघर्षमय जीवन का उपसंहार हर्षमय।

     

    पतित माटी से पावन घट बनने तक की प्रक्रिया को रूपक बनाकर पापात्मा से परमात्मा बनने तक की यात्रा का वर्णन करने वाले मूकमाटी महाकाव्य को प्रारम्भ करते हुए प्रथम ही प्रात: कालीन प्राकृतिक दृश्य का वर्णन किया गया।

     

    सीमातीत शुन्य में

    नीलिमा बिछाई,

    और..... इधर..... निचे

    निरी नीरवता छाई,

    निसा का अवसान हो रहा हैं

    उषा की अब शान हो रही है। (पृ.1)



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