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परम श्रद्धेय गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के अनेक रूपों में दर्शन होते हैं जब प्रज्ञाचक्षु उन्हें किसी भी अवस्था में देखते हैं तो वे मुनि, आचार्य, उपाध्याय, निर्यापकाचार्य, अभीक्षणज्ञानोपयोगी, आगमनिष्ठ, श्रेष्ठचर्यापालक, साधना की कसौटी, श्रमणसंस्कृति उन्नायक, ध्यानयोगी, आत्मवेत्ता-आध्यात्मिक संत, निस्पृही साधु, दार्शनिक कवि, साहित्यकार, महाकवि, बहुभाषाविद्, भारतीय भाषाओं के पैरोकार, भारतीय संस्कृति के पुरोधा महापुरुष, युगदृष्टा, युगप्रवर्तक, राष्ट्रीय चिंतक, शिक्षाविद्, सर्वोदयी संत, नवपीढ़ी प्रणेता, अपराजेय साधक आदि के रूप में पाते हैं। सन् १९६८ अजमेर नगर (राज.) में मह11 points
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"एक साधक ने अपने लक्ष्य के अनुकूल पुरुषार्थ कर प्राप्त की कालजयी सफलता।" उन महान साधक की साधना से जुड़े विस्मयकारी प्रसंगों को, जिनसे जिनशासन हुआ गौरवान्वित, उन प्रसंगों को ही इस लेख का विषय बनाया जा रहा है। गुरुवाणी के साथ-साथ विषय की पूर्णता हेतु अन्य स्रोतों से भी विषय वस्तु को ग्रहण किया गया है। आगामी 2दिसम्बर 20 को हैं आचार्य पदारोहण दिवस आचार्य श्री ज्ञानसागर द्वारा मुनिश्री विद्यासागर को आचार्य पद प्रदान करने की घोषणा एवं संस्कार २२ नवम्बर १९७२, माघ शीर्ष कृष्ण द्वितीया, नसीराबाद, राजस्थान आचार्य श्री ज्ञानसागरजी महाराज का सन् १९७२ में नसीराबाद9 points
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9 points
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वक्ता / गायक / प्रस्तुतकर्ता: व्रती डॉ. मोनिका सुहास शहा8 points
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दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज इन दिनों (Japanese Haiku, 俳句 ) जापानी हायकू (कविता) की रचना करते हैं | हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी पंक्ति में ७ अक्षर, तीसरी पंक्ति में ५ अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। महाकवी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने लगभग ६०० हायकू लिखे हैं, वह इस प्रकार हैं :- १ - जुड़ो ना जोड़ो, जोड़ा छोड़ो जोड़ो तो, बेजोड़ जोड़ो। २ - संदेह होगा, देह है तो, देहाती ! विदेह हो जा | ३ - ज्ञान प्राण है, संयत हो त्राण है, अन्यथा श्वान| ४ -7 points
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तप से गुरु का जीवन खिलता है, वाणी से प्यासो को जल मिलता है।। हमारे जीवन के हर कठिन प्रश्न का, गुरुवर, आपसे ही हल मिलता है।।6 points
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बीसवीं - इक्कीसवीं शताब्दी में सर्वाधिक दीक्षा देने वाले मूकमाटी महाकाव्य के रचयिता गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर जी का जीवन परिचय एवं चारित्र विकास का वर्णन इस अध्याय में है। 1. आचार्य श्री विद्यासागर जी कौन हैं ? आचार्य श्री शान्तिसागर जी के प्रथम शिष्य आचार्य श्री वीरसागर जी एवं आचार्य श्री वीरसागर जी के प्रथम शिष्य आचार्य श्री शिवसागर जी एवं आचार्य श्री शिवसागर जी के प्रथम शिष्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी एवं आचार्य श्री ज्ञानसागर जी के प्रथम शिष्य सुप्रसिद्ध दिगम्बर जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज हैं। 2. आचार्य श्री विद्यासागर जी का सामान्य जीवन परिचय बताइए ?6 points
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वक्ता / गायक / प्रस्तुतकर्ता: आर्यिका 105 पूर्णमती माता जी5 points
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वक्ता / गायक / प्रस्तुतकर्ता: गायन- सलोनी जैन, रचना-प्रतिभास्थली4 points
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वक्ता / गायक / प्रस्तुतकर्ता: आचार्य विद्यासागर जी, रवीन्द्र जैननंदीश्वर भक्ति भक्ति पाठ : पूज्यपाद भक्तियाँ (संस्कृत) का आचार्य श्री द्वारा पद्यानुवाद गायन : रवीन्द्र जैन3 points
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वक्ता / गायक / प्रस्तुतकर्ता: सलोनी जैन, प्रतिभास्थली2 points