स्वरूप सम्बोधन पच्चीसी
आचार्य अकलंकस्वामी ने संस्कृत में २५ श्लोक प्रमाण ‘स्वरूप सम्बोधन' की रचना की। यह आध्यात्मिक रचना है। आचार्यश्री ने इसका हिन्दी पद्यानुवाद ३० मात्रा वाले छंद में ‘स्वरूप सम्बोधन पच्चीसी' नाम से किया, इसमें आत्मिक स्वभाव का वर्णन है। कवि ने रचनाकाल व स्थान का उल्लेख नहीं किया है। सम्भवतः इसकी रचना श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र तारंगाजी प्रवास के समय हुई है।