सत् से जन्म ले
सत् में छद्म ले
हरदम होती हो
हरदम खोती हो,
कभी-कभी
अभाव के घाव पर
मरहम होती हो
स्वरातीत भाव पर
सरगम होती हो
केन्द्र को छोड़ कर
परिधि की ओर
दौड़ रही हो,
अनन्त को छोड़ कर
अवधि की ओर
मोड़ रही हो स्वयं को
ओ! लहरों पर लहरें
रजत राजित गरजे
उत्तर दो !
इस ओर भेजकर
सरलिम तरलिम नजरें!