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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • प्रार्थना और .........!

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    हे परमात्मन्!

    यह सब

    आपके प्रसाद का ही

    परिपाक है पावन,

    कि

    पाँच खण्ड का प्रासाद .....

    पास है

     

    अप्सरा - सी भी प्यारी पत्नी

    प्रमदा होकर भी

    पति की सेवा में  

    अप्रमदा है प्रतिपल!  

    प्राण-प्यारे दो-दो पुत्र

    भोग-उपभोग सम्पदा!

    सम्पन्न हूँ.....सानन्द...

     

    किन्तु

    एक ही आकुलता है

    कि

    पड़ोसी का

    दस खण्ड का महा भवन!

    (मन में खटकता है रात-दिन...!)


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