वही अधिष्ठान है सुख का मृदु नवनीत जिसका पुनः मथन नहीं है, वही विज्ञान है ..... ज्ञान .....है निज रीत जिसका पुनः कथन नहीं है, वही उत्थान है ..... थान है प्रिय संगीत जिसका पुनः पतन नहीं है |