काया के मिलन से
माया के छलन से
ऊब गया है यह
भटकता - भटकता
विपरीत दिशा में
खूब गया है यह
सहचर हैं बहुत सारे
पर! कैसे लूँ ?
सहयोग उनसे
अंधों से कंधों का सहारा
मिल सकता है
किन्तु
पथ का दर्शन - प्रदर्शन संभव नहीं है
यह भी अंधा है
इसे आँख मत दो... भले ही
मत दो प्रकाश
किन्तु
हस्तावलम्बन तो दो !
इसे ऊपर लो गर्त से
और मिलन नहीं
अपने आलोक में मिला लो
हे सब द्वन्द्वों से अतीत!
अजित! अभीत!