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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • मिलन नहीं; मिला लो!

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    काया के मिलन से

    माया के छलन से

    ऊब गया है यह

    भटकता - भटकता

    विपरीत दिशा में

    खूब गया है यह

    सहचर हैं बहुत सारे

    पर! कैसे लूँ ?

    सहयोग उनसे

    अंधों से कंधों का सहारा

    मिल सकता है

     

    किन्तु

    पथ का दर्शन - प्रदर्शन संभव नहीं है

    यह भी अंधा है

    इसे आँख मत दो... भले ही

    मत दो प्रकाश

    किन्तु

    हस्तावलम्बन तो दो !

    इसे ऊपर लो गर्त से

    और मिलन नहीं

    अपने आलोक में मिला लो

    हे सब द्वन्द्वों से अतीत!

    अजित! अभीत!


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