पथ और पाथेय का परिचय क्या दूँ ? प्रायः परिचित हैं नियम से जो आदेय दिखाते, पथ अभी भले ही दूर हो अपरिमित...! परवाह नहीं किन्तु कहीं ऐसा न हो कि आस्था के गवाक्ष में से गन्तव्य दिख जाने से इसके तरुण चरणों की पीर कम पड़ जाय।