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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • बधिर बनूँ  

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    निर्गुण से मिलने का

    वार्ता विचार - विमर्श कर

    तदनु चलने का

    सगुण परमात्मा में

    भावुक - भाव

    उभर आया है,

     

    और इधर

    सघन नीलिमा ले

    नील-गगन

    नीचे की ओर

    उतर आया है,

     

    बीच में बाधक बनकर

    साधक के साधना - पथ पर

    तभी तो

    कहीं नियति ने भेजी है

    बाधा दूर करने

    अरुक अथक

    अविरल उठती आ रही हैं

     

    लहरों पर लहरें,

    इनकी ध्वनि

    ये ही सुन सकते

    जो वैषयिक क्षेत्र में

    बने हैं पूर्ण बहरे!


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