निर्गुण से मिलने का
वार्ता विचार - विमर्श कर
तदनु चलने का
सगुण परमात्मा में
भावुक - भाव
उभर आया है,
और इधर
सघन नीलिमा ले
नील-गगन
नीचे की ओर
उतर आया है,
बीच में बाधक बनकर
साधक के साधना - पथ पर
तभी तो
कहीं नियति ने भेजी है
बाधा दूर करने
अरुक अथक
अविरल उठती आ रही हैं
लहरों पर लहरें,
इनकी ध्वनि
ये ही सुन सकते
जो वैषयिक क्षेत्र में
बने हैं पूर्ण बहरे!