निश्चल
निश्छल
संवेदनशील
समता छलकती
लोचनों में
धवलिमा मिश्रित
गुलाब फूल की
हलकी लालिमा सी भी
तरल रेखा
नहीं नहीं
कभी न खिचे
निन्दोपजीवी
मतिहीन / दीन
विषयों, कषायों में
सतत संल्लीन
मानव मुख से
आश्रव्य निन्द्य वचन
सुनकर
हे करुणाकर!
गुणगण आकर!