धरती से फूट रहा है
नवजात है
और पौधा
धरती से पूछ रहा है
कि
यह आसमान को कब छुएगा
छू ..... सकेगा क्या नहीं ?
तूने पकड़ा है
गोद में ले रखा है इसे
छोड़ दे .....।
इसका विकास रुका है
ओ!..... माँ....।
माँ की मुस्कान बोलती है
भावना फलीभूत हो बेटा ...!
आस पूरी हो!
किन्तु
आसमान को छूना...
आसान नहीं है
मेरे अन्दर उतर कर
जब छूयेगा
गहन गहराइयाँ
तब ..... कहीं ..... संभव हो
आसमान को छूना
आसान नहीं है...।