Jump to content
सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

बांदरी जिला सागर 25-01-2019 *ज्ञान कल्याणक* *करोड़ो में एक दाता होता है - मुनि श्री* बांदरी जिला सागर मध्यप्रदेश में सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी मुनि श्री अनंत सागर जी मुनि धर्मसागर जी मुनि श्री अचल


Recommended Posts

बांदरी जिला सागर 25-01-2019 
*ज्ञान कल्याणक* 
*करोड़ो में एक दाता होता है - मुनि श्री*
बांदरी जिला सागर मध्यप्रदेश में 
सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी मुनि श्री अनंत सागर जी मुनि धर्मसागर जी मुनि श्री अचल सागर जी मुनि श्री भाव सागर जी ससंघ एवं  आर्यिका श्री अनंत मति माताजी  ससंघ एवं आर्यिका श्री भावना मति माता जी आदि 22 आर्यिकाओं के सानिध्य मे एबं प्रतिष्टाचार्य बाल ब्रह्मचारी विनय भैया बंडा के  निर्देशन में चल रहे
 *श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर बांदरी* के पंच कल्याणक  महोत्सव में पुलिस थाना ग्राउंड में पंच कल्याणक स्थल पर आचार्य श्री जी के अर्घ मुनि श्री विमल सागर जी ने पढ़े एवं पूजन करवाई । और पूजन की द्रव्य सागर के श्रद्धालुओं के द्वारा लाई गई । आर्यिका श्री निर्वेग मति माता जी , आर्यिका श्री संवेग मति माता जी का रजत दीक्षा दिवस मनाया गया। एवं मुनिराज वृषभ सागर जी की आहार चर्या हुई। भगवान की धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने कहा कि मुनिराज कब आहार के लिए उठे और हम कब पड़गाहन करें। 6 माह धर्म ध्यान के साथ उन्होंने निकाले। आहार ऐसी प्रक्रिया है। समय के साधना में सहायक है। जैन धर्म की रीढ़ दान है। दान नहीं होता तो यह धर्म एकता नहीं। पंचम काल के अंत तक मुनिराजों के दर्शन होंगे। जो श्रावक मनुष्य जन्म लेकर दान नहीं करता ऐसा व्यक्ति दुर्गति का पात्र बनता है दानपूजा के माध्यम से पाप धुलता है। यथा विधि दान देना चाहिए। मुनिराज का पड़गाहन गदगद भावों से करें। तीर्थंकर सर्वश्रेष्ठ पात्र होते हैं जो इनको दान देता है उसी भाव से मुक्ति का पात्र बनता है। हाथ जोड़कर नम्र होकर पड़गाहन करना चाहिए। अपने लिए जो शुद्ध भोजन बनाता है उसका दान करते हैं गृहस्थ। पाद प्रक्षालन इसलिए करते हैं जिससे गृहस्थ के अंदर जो कर्म धूली लगी है वह दूर हो जाए। जिस गृहस्थ के यहां साधु के चरण नहीं पड़ते हैं उस गृहस्थ का घर पवित्र नहीं हो पाता है। आपके घर में चिंतामणि रत्न आते हैं। लाखों में एक वक्ता और करोड़ों में एक दान होता है

प्रतिदिन रात्रि में आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं।कार्यक्रम में बिभिन्न नगरों से लोग शामिल हुये।
नीरज वैद्यराज पत्रकार
07582888100

Link to comment
Share on other sites

×
×
  • Create New...