सागर समाचार Posted December 26, 2018 Report Share Posted December 26, 2018 सागर 26/12/2018 *पाजीटिव एनर्जी हो जाती है* - मुनि श्री* सागर (मध्यप्रदेश )में *सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य* *ज्येष्ठ* *मुनि श्री योग सागर जी*, मुनि श्री पवित्र सागर जी, मुनि श्री प्रयोग सागर जी, मुनि श्री संभव सागर जी,मुनि श्री पूज्य सागर जी, मुनि श्री विमल सागर जी ,मुनि श्री अनंत सागर जी, मुनि श्री धर्म सागर जी , मुनि श्री शैल सागर जी, मुनि श्री अचल सागर जी , मुनि श्री अतुल सागर जी , मुनि श्री भाव सागर जी , मुनि श्री निस्सीम सागर जी, मुनि श्री शाश्वत सागर जी एवं आर्यिका श्री ऋजुमति माता जी ससंघ आर्यिका श्री गुण मति माताजी ससंघ आर्यिका श्री अनंत मति माताजी ससंघ, आर्यिका श्रीउपशांत मति माताजी ससंघ आर्यिका श्री अकंप मति माताजी ससंघ आर्यिका भावना मति माताजी ससंघ 14 मुनिराज एवं 49 आर्यिकाओ के सानिध्य में आचार्य श्री की पूजन हुई एवं धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री संभव सागर जी ने कहा कि साधर्मी यदि विपत्ति मे है तो हम उसका संकट दूर करे । जो प्रतिदिन अभिषेक पूजन आदि करता है और वह डिग रहा है तो उसकी मदद करें । आर्थिक या स्वास्थ संबंधी संकट भी आता है तो हम एक दूसरे की परेशानियों में सहयोग करेंगे तो वह संभल सकता है । कई लोग मिलकर बड़े से बड़े वजन को उठा लेते हैं ऐसे ही मिलकर मदद करें । द्रव्य पूजन के साथ भाव पूजा भी होना चाहिए । आजीविका के साधन नहीं है किसी के पास उसमें भी मदद करना यह भी महत्वपूर्ण है। हम सुख और दुख दोनों में साथ रहे । मंदिर के बाहर भी हम कैसे धर्म करें यह आचार्यश्री विद्यासागर जी ने बताया था । आचार्य श्री को किसानों की चिंता भी रहती है। प्राणी मात्र का कल्याण कैसे हो उनको चिंता रहती है । आचार्य श्री ने शांति धारा दुग्ध योजना के लिए प्रेरणा दी जिससे लोगों को शुद्ध दूध घी आदि मिलें किसानों को गाय दान देकर उनको आजीविका मिले और हथकरघा योजना के लिए प्रेरणा मार्ग दर्शन दिया । जिससे बेरोजगारी दूर हो और अहिंसक वस्त्र मिले हैं । सरकार आर्थिक विभागों पर ध्यान तो देती है लेकिन जेल पर ध्यान नहीं देती हैं । लेकिन आचार्य श्री विद्यासागर जी जेल पर ध्यान दे रहे हैं यह महत्वपूर्ण है हथकरघा इको फ्रेंडली है फैमिली फ्रेंडली है यूजर फ्रेंडली है हथकरघा में उपयोग अच्छा लगता है प्रार्थना करते समय कैदी इतनी एकाग्रता में लीन थे। मैंने खुद जाकर देखा हे। उनकी नेगेटिव एनर्जी पॉजिटिव में बदल जाती है । प्राचीन काल में पुरुषों की 72 कलाएं होती थी। आज जॉब में कॉलर तो साफ सुथरी रहती है लेकिन मेहनत नहीं होती है । आज जो भी हथकरघा के अलावा बाजार में वस्त्र आ रहे हैं उसमें *मटनटेलो* नाम का चर्बी युक्त पदार्थ है जो अहिंसक नहीं है । आचार्य श्री विद्यासागर जी ने बचपन मे तीसरी कक्षा में स्कूल में रूई और कतली के माध्यम से टोपी बनाई थी । एक व्यक्ति जिसका 20 लाख का पैकेज था उसने विदेशी नौकरी छोड़ दी आचार्य श्री के प्रवचन सुनकर उसने हथकरघा शुरू किया है। *प्रेषक* नीरज वैद्यराज पत्रकार 07582888100 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Recommended Posts