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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

सागर 22/12/2018 *मुख से कष्टकारी वचन नही निकाले- मुनि श्री* सागर (मध्यप्रदेश )में *सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य*  *ज्येष्ठ* *मुनि श्री योग सागर जी*, मुनि श्री पवित्र सागर जी, मुनि श्री प्रयोग सागर जी, मु


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सागर 22/12/2018 
 *मुख से कष्टकारी वचन नही निकाले- मुनि श्री*
 सागर (मध्यप्रदेश )में 
*सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज  के आज्ञानुवर्ती शिष्य* 
*ज्येष्ठ* 
 *मुनि श्री योग सागर जी*, मुनि श्री पवित्र सागर जी,  मुनि श्री प्रयोग सागर जी,  मुनि श्री संभव सागर जी,मुनि श्री पूज्य सागर जी, मुनि श्री विमल सागर जी ,मुनि श्री अनंत सागर जी, मुनि श्री धर्म सागर जी , 
मुनि श्री शैल सागर जी, 
मुनि श्री अचल सागर जी ,
मुनि श्री अतुल सागर जी ,
मुनि श्री भाव सागर जी ,
मुनि श्री निस्सीम सागर जी, मुनि श्री शाश्वत सागर जी एवं आर्यिका श्री ऋजुमति माता जी  ससंघ आर्यिका श्री गुण मति माताजी  ससंघ आर्यिका श्री अनंत मति माताजी ससंघ, आर्यिका श्रीउपशांत मति माताजी ससंघ आर्यिका श्री अकंप मति माताजी ससंघ आर्यिका भावना मति माताजी ससंघ   14 मुनिराज एवं 49  आर्यिकाओ के सानिध्य में आचार्य श्री की पूजन हुई एवं धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री अनंत सागर जी ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में संस्कारों का महत्व होता है व पद प्राप्त कर लेता है जिसके पाने के बाद कोई पद शेष नहीं रहता है एक व्यक्ति जिन्होंने चारित्र धारण करके विभिन्न सिद्धियां हासिल करली थी उनका नाम पूज्य पाद स्वामी था जब भी हम शांतिनाथ भगवान के चरणों में जाएंगे हमारी समस्या का हल हो जाएगा हमारे पास और कुछ नहीं है हमारे पास भक्ति है पूज्य पाद स्वामी जी ने कहा कि हमारी दृष्टि कब पवित्र होगी जब इन शब्दों का प्रयोग किया उनकी दृष्टि फिर से लौट आई।
 संस्कारों के नहीं होने पर दुर्गति हो जाती है।
 गुरुदेव की बुद्धि इतनी तीव्र है कि उत्तर देने में माहिर है,हमें आचार्यों की वाणी से जुड़ना होगा मुनि श्री योगसागर जी ने कहा की मैंने पहली बार अनंत सागर जी के मुख से धर्म की व्याख्या सुनी आज बहुत अच्छा लग रहा था वह अच्छी व्याख्या कर रहे थे इतना बढ़िया बोल रहे थे साहित्यिक भाषा में बोल रहे थे बैरागी कभी भी प्रदर्शन नहीं करता है उपदेश वैराग्य बढ़ाने के लिए साधन है हम लोगों को आचार्य श्री ने प्रवचन करना नहीं सिखाया हित,मित,मिष्ट, वचन बोलना चाहिए मैंने महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज जैसी विभूति का दर्शन किया था वह णमोकार मंत्र और चत्तारि दंडक बोलते थे उनके मुख से सुनकर वह मुझे याद हो गया था।
 जो सुनकर के छोड़ देता है वह हरा नहीं हो पाता है जैसे बांसुरी हरी नहीं हुई सूखे पेड़ पौधे तो हरे हो गए।
 आचार्य श्री ज्ञानसागर जी ने राजस्थान में अध्यात्म की बांसुरी बजाई जो दक्षिण तक फैल गई।
बुंदेलखंड में मुझे भी हरियाली मिल गई, यहां के लोगों को संस्कार देते हैं तो संस्कारित हो जाते हैं हम जो भी कार्य करते हैं हानि लाभ जरूर देखें हमारे मुख से ऐसे वचन नहीं निकले जिससे किसी को कष्ट हो गुरु वाणी मिली है उसका उपयोग करें।
आज  बालक कॉम्पलेक्स तिलि में मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज ओर मुनि श्री पदम सागर जी महाराज के सानिध्य में आज आचार्य श्री जी की पूजन हुई
जिसमें कालोनी ओर अन्य जगहों से आये लोगो ने धर्म लाभ लिया। मुनि श्री निर्णय सागर जी ने कहा कि कल बालक कॉम्प्लेक्स में पाठ शाला की कलश स्थापना करने की बात कही।उन्होंने कहा कि पाठ शाला सिर्फ बच्चों को ही नही पुरुषों और महिलाओं को भी पढ़ना चाहिए। हमें पर कल्याण के साथ ही अपनी आत्मा का कल्याण करना चाहिए। आज की आहार चर्या भी बालक कॉम्पलेक्स में ही हुई
नीरज वैद्यराज पत्रकार
07582888100

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