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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

सागर* *12-12-2018* * तप की महिमा अपरंपार है* *भाग्योदय तीर्थ सागर (मध्यप्रदेश) में * *सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य* ज्येष्ठ * मुनि श्री योग सागर जी, * मुनि श्री पवित्र सागर जी, मुनि श्री अभय सागर ज


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सागर* 
*12-12-2018*
* तप की महिमा अपरंपार है*
          
*भाग्योदय तीर्थ सागर (मध्यप्रदेश) में *

*सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य* ज्येष्ठ
 * मुनि श्री योग सागर जी, *
मुनि श्री पवित्र सागर जी, 
मुनि श्री अभय सागर जी,
 मुनि श्री प्रयोग सागर जी, मुनि श्री प्रभात सागर जी, मुनि श्री संभव सागर जी,
मुनि श्री पूज्य सागर जी,
 मुनि श्री विमल सागर जी ,
मुनि श्री अनंत सागर जी, मुनि श्री धर्म सागर जी , 
मुनि श्री शैल सागर जी, 
मुनि श्री अचल सागर जी ,
मुनि श्री अतुल सागर जी ,
मुनि श्री भाव सागर जी ,
मुनि श्री निस्सीम सागर जी, मुनि श्री निरीह सागर जी ,
मुनि श्री शाश्वत सागर जी  
एवंआर्यिका श्री ऋजुमति माता जी  ससंघ आर्यिका श्री उप शांत मति माताजी  आर्यिका श्री अनंत मति माताजी और आर्यिका श्री गुण मति माताजी आर्यिका श्री अकंप मति माताजी आर्यिका भावना मति माताजी ससंघ  भाग्योदय तीर्थ सागर में  विराजमान है 

*पंचकल्याणक महोत्सव में तप कल्याणक के अवसर पर* प्रात:काल मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज ने कहा कि दान देने के बाद हर्ष होना चाहिए। इन क्रियाओं से अति मात्रा में पुण्य इकट्ठा हो रहा है जैसे सीजन मैं पैसा कमाते हैं से ही पंचकल्याणक में पुण्य को इकट्ठा किया जाता है । प्री वेडिंग महिला संगीत एक गलत परंपरा है इसमें सुधार होने चाहिए। पहले लड़की विवाह वाले नगर में नहीं जाती थी आचार्य श्री कहते हैं ढाई दिन गृहस्थों के होते हैं ढाई दिन मुनि राजो के होते हैं । जिसने इस देश को देवालय बनाया उसका नाम धर्म है ,चेतन प्रतिष्ठा का नाम धर्म है देह में स्थित जो आत्मा है, उसे मूर्ति बनाओ । आचार्य श्री विद्यासागर जी रत्ना तरह रूप देते हैं आप उनके कुछ त्याग करके प्राप्त कर सकते हैं। ठंडी एवं गर्मी में दिगंबर साधु के पास एक ही ड्रेस होता है । जिनको निंदा और प्रशंसा एक समान है मुनि लाखों वर्षों तक जीयू या मृत्यु आज ही हो जाए इसको मानने वाला होता है। मैं 20 चातुर्मास होने के बाद इतनी सारी प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा  एक साथ प्रथम बार  ही देख रहे हैं। आचार्य भगवान को प्रत्येक व्यक्ति ने अपने ह्रदय में छुपा रखा है । आप दूध तो चाहते हो लेकिन गाय रखना नहीं चाहते। पशुओं का पालन करने के लिए गाय का पालन करना चाहिए जिसके साथ अन्य सामग्री की प्राप्ति होती है । संस्कारित व्यक्ति को ही दीक्षा दी जाती है। हिंसक ही वस्त्र पहनेंगे तो कैसे अहिंसा पलगी अहिंसक वस्त्र पहने और संस्कारित रहे । ब्रह्मचर्य व्रत सबसे कठिन व्रत है संयम में रहकर ही इस व्रत का पालन करना चाहिए।
 आदिनाथ के पंच कल्याणक होते हैं ।अधिकांश सूर्य मंत्र एकांत में दिया जाता है । मुख्य आंतरिक क्रियाएं प्रमुख पात्रो के माध्यम से होती है । मंत्र जन्मदिन के दिन धारण करें

मुनि श्री प्रभात सागर जी महाराज ने कहा कि छोटे से कार्य से ही बढ़ जाता है पुण्य, पुण्यशाली जीवो का पुण्य तीव्र होता है ।पुण्य ही सब कुछ करता है ,पूजन करते समय परिणामो में संघ किलिस्ता नहीं आना चाहिए ।पहले श्रावकचार पढ़ना चाहिए  ।फिर अध्यात्म ग्रंथ पढ़ना चाहिए गुरु से पढ़ना चाहिए शुरुआत में आचार्य का कार्य बहुजन होता है 
*नीरज वैद्यराज पत्रकार *
07582888100

 

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