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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

जीवन दृष्टि - मुनि श्री विमल सागर जी महाराज


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*मुनि श्री विमल सागर जी महाराज जीवन दृष्टि* 

आपका पूर्व नाम रहा है बाल ब्रहमचारी बृजेश जैन
 जन्म स्थान रहा है बरोदिया जिला सागर{ मध्य प्रदेश} ( बाद में निवास ललितपुर उत्तर प्रदेश रहा )
पिता श्री कपूरचंद जी और माता श्री श्रीमती गोमती बाई
 की पांचवी संतान के रूप में आपका जन्म मंगलवार 15 अप्रैल 1975 चैत्र बदी 4 विक्रम संवत 2032 को हुआ उन्हें 3 बड़े भाइयों और एक बड़ी बहन तथा छोटी बहन के साथ बचपन किशोरावस्था और युवावस्था तक पहुंचने का प्यार दुलार मिला 
हायर सेकेंडरी ,शास्त्री (प्रथम वर्ष )तक की शिक्षा प्राप्त की आपने भाग्योदय तीर्थ सागर में 28 अप्रैल 1998 वैशाख शुक्ल 6 को 23 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया और आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से 22 अप्रैल 1999 गुरुवार वैशाख शुक्ल 7 को
 श्री दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र नेमावर जी मध्य प्रदेश में सीधे मुनि दीक्षा लेकर मुनि श्री विमल सागर जी महाराज बने
मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने अनेक मांगलिक कार्य संपन करवाएं  जिनमें विधान, वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है मुनि श्री की प्रेरणा से मंडला ,छपारा, छिंदवाड़ा ,गोटेगांव ,करेली, देवरी, गौरझामर आदि स्थानों पर अभिषेक के दिव्य कलश  और शांति धारा की दिव्य झारी का निर्माण हुआ है और पिंडरई ,केवलारी, सिवनी ,चौरई, छिंदवाड़ा, मंडला, घंसौर ,गौरझामर, धनोरा, सिलवानी, बिलहरा आदि स्थानों पर संयम कीर्ति स्तंभ का निर्माण हुआ
सन 2009 में बेलखेड़ा मध्य प्रदेश, 
सन 2012 जबेरा मध्य प्रदेश ,
सन 2012 बांदकपुर मध्य प्रदेश,
इटारसी मध्य प्रदेश,
 सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश,
सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश,
 झलौन, बिलहरा  जिनमें  25000से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई 
आपके चतुर्मास 1999 इंदौर, सन 2000 अमरकंटक ,
सन 2001 जबलपुर ,
सन् 2002 नेमावर, 
सन 2003 अमरकंटक,
 सन 2004 जबलपुर ,
सन 2005 बीना बारह ,
 सन 2006अमरकंटक,
 सन 2007 बीना बारह   
*यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद*

 2008 बेगमगंज,
 2009 सागर ,
2010 बरेली ,
2011 रहली ,
2012 शाहपुर,
 2013 देवरी,
 2014 पनागर ,
2015 तेंदूखेड़ा ,
2016 मंडला ,
2017 छपारा ,
और *2018 का चतुर्मास गौरझामर मैं चल रहा है*

आपके मार्गदर्शन में 50 से भी अधिक स्थानों पर तत्वार्थ सूत्र ,द्रव्य संग्रह, भक्तांमर, रत्नकरंड श्रावकाचार, इष्टोपदेश आदि ग्रंथ ताम्रपत्र पर उत्कीर्ण हुए हैं

श्री जी के ऊपर आपको तत्वार्थ सूत्र ,भक्तांमर, सहस्रनाम आदि कंठस्थ है आपको सिद्धांत ,अध्यात्म व्याकरण एवं अनेक विधाओं में महारथ हासिल है आप मुनि श्री सुधासागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन के मौसी के लड़के है। आपकी ग्रहस्थ जीवन की चचेरी बहन आर्यिका श्री 105 अनुगम मति माताजी हैं

         -- गुरु चरणााानुरागी --

              ?भक्त गण?

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