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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

मुनि दीक्षा दिवस पर विशेष 16/08/2018 गौरझामर (म.प्र.)


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*मुनि दीक्षा दिवस पर 16 अगस्त 2018 पर विशेष*

*मुनि श्री अचल सागर जी महाराज*
दीपावली के शुभ पर्व के दिन शनिवार 23 अक्टूबर 1976 कार्तिक कृष्ण 30 को सागर मध्य प्रदेश मे  श्री ज्ञान चंद जी जैन और श्रीमती अंगूरी देवी जैन के घर एक दीपक के रूप में प्रदीप का जन्म हुआ बड़ी बहन अल्पना और छोटी बहन बाल ब्रह्मचारिणी जूली जी(वर्तमान में आर्यिका श्री  श्रुतमति माता जी)  जो आयिका गुरु मति माताजी के संग में है तथा छोटा भाई आलोक ग्रहस्थ जीवन मैं है इ बीकॉम तक की लौकिक पढ़ाई की है श्री प्रदीप जैन ने शनिवार 3 मार्च 2001 को सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में ब्रम्हचर्य व्रत धारण किया उन्होंने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शनिवार 21 अगस्त 2004 को द्वितीय श्रावण शुक्ल छठ को दीक्षा धारण की  यह दिन  भगवान नेमिनाथ का जन्म तप कल्याणक भी है  स्थान था दयोदय तीर्थ गौशाला तिलवारा घाट जबलपुर आप का नामकरण मुनि श्री अचल सागर जी महाराज हुआ मुनि श्री के कई भिन्न-भिन्न स्थानों पर चतुर्मास हुए हैं आपने देवरी, झलौन, बिलहरा, घंसौर, गौरझामर में( आचार्य श्री के साथ) पंचकल्याणक करवाएं प्रवचन के माध्यम से लोगों को उद्बोधन देते हैं शाकाहार के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है

*मुनि श्री अतुल सागर जी महाराज*
मुनि श्री अतुल सागर जी महाराज भी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य हैं और उनकी भी सीधी मुनि दीक्षा शनिवार 21 अगस्त 2004 को भगवान नेमिनाथ जन्म तप कल्याणक के दिन द्वितीय श्रावण शुक्ल छठ  को  तिलवारा घाट जबलपुर मध्य प्रदेश मैं हुई
उनका जन्म नाम था राजीव जैन जन्म मंडीबामोरा जिला सागर मध्यप्रदेश में पिता श्री धन्नालाल जैन और श्रीमती विमला देवी जैन के दूसरे सुपुत्र के रूप में शनिवार 21 अक्टूबर 1971 कार्तिक शुक्ल 2 विक्रम संवत 2028 को हुआ बड़े भाई छोटी बहन और छोटे भाई के साथ उनका बचपन बीता और किशोरावस्था पार करके युवावस्था पर पहुंचते हुए राजीव ने बीएससी गणित तक की शिक्षा पूरी कर ली उन्होंने बैराग्य के पथ पर अग्रसर होते हुए सोमवार 4 नवंबर 2002 दीपावली को सिद्ध सिद्ध क्षेत्र नेमावर जी मैं ब्रम्हचर्य व्रत धारण किया वर्तमान में मुनि श्री अतुल सागर जी महाराज धर्म की दिशा में अग्रसर होते जा रहे हैं आप सिद्धांत अध्यात्म व्याकरण के प्रवीण हैं ज्ञान ध्यान में लीन रहते हैं प्रवचन के माध्यम से श्रावक प्रभावित होते  हैं आप साधुओं की सेवा बैयाब्रत्ति में कुशल हैं चिकित्सा औषधि का विशेष ज्ञान रखते हैं

*मुनि श्री भाव सागर जी महाराज*
ग्रहस्थ जीवन के दो सगे भाइयों ने एक ही आचार्य श्री से दीक्षित होने के बाद मुनि श्री के पद ग्रहण करने वाले और उदाहरण में मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का असाधारण रूप हमारे समक्ष विद्यमान है उनके अग्रज आज मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज हैं प्रसंगवश स्वयं आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की ग्रहस्थ जीवन के उनके भी दो सगे भाई हैं मुनि श्री समय सागर जी और मुनि श्री योग सागर जी मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने ललितपुर उत्तर प्रदेश मैं निवासी स्वर्गीय श्री कपूर चंद जैन मोदी और श्रीमती धोखा बाई जैन मोदी कि 8वी और सबसे छोटी संतान के रूप में बुधवार 28 जुलाई 1976 श्रावण शुक्ल 2 भगवान सुमतिनाथ के गर्भ कल्याणक के दिन  जन्म लिया उन्हें अपने बड़े भाइयों विनोद स्व. कल्याण चंद्र और मनोज जी( जो वर्तमान में मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज हैं) और बड़ी बहनों राजकुमारी सुमन कुसुम और चंदा का प्यार दुलार मिला और उनका बचपन किशोरावस्था और युवक के रूप में निरंतर प्रतिभा संपन्न होता गया BA तक की पढ़ाई की और रेडियो टीवी कोर्स के बाद आपने TV सीरियल में भी कार्य किया है अग्रज भाई मनोज के( मुनि श्री अनंत  सागर महाराज) के रूप में दीक्षा ले लेना और संसार के उतार चढ़ाव को देखकर आपके मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया और 23 अगस्त 2001 को उन्होंने दयोदय तीर्थ गौशाला तिलवारा घाट जबलपुर में ब्रम्हचर्य व्रत धारण कर लिया ब्रह्मचारी मनीष जी बनने के बाद उनकी सीधी मुनि दीक्षा हो गई  संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज और उन्होंने नव दीक्षित शिष्य को मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का नाम देकर अलंकृत किया।

इनके द्वारा छोटे बड़े 22 पंचकल्याणक हुए और साधु जीवन दर्शन नामक एक पुस्तक आपके मार्गदर्शन मैं तैयार हुई ताम्रपत्र पर ग्रंथ उत्कीर्ण हुए 
स्वर्ण और रजत संबंधी अनेकों कार्य आपके माध्यम से हुए मुनि श्री सभी प्रकार के कार्यों में निपुण है और महाराज श्री से सभी श्रावक मार्गदर्शित होकर अपना कार्य कर रहे हैं
सभी मुनिराजों के चरणो में नमोस्तु और सभी को मुनि दीक्षा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।।

 

प्रस्तुति- " गुरु चरण चंचरीक" 

                  (भक्त गण)
 

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