MeenajainDG Posted August 3, 2018 Report Share Posted August 3, 2018 साधु जीवन की पवित्रता केवल स्त्री सम्बन्धी ही है ऐसा nhi है। जो साधु कमरा बंद करके बात करते है वह भी विचारणीय है। हमारे समाज के कुछ श्रावक भी स्वार्थ वश ये कार्य करते है ।यदि समय रहते इन कार्यो पर रोक लगा दी जाये तो nishchit मानिये जैन धर्म की उन्नति आवशय होगी। केवल आचार्य श्री विध्यासागर जी और उनका संघ ही आज की भौतिक चमक से अछुता है। जो हमे चतुर्थ काल का आभास पंचम काल में भी क र रहे है। गुरुदेव के श्री चरणो में कोटि कोटि प्रणाम। Link to comment Share on other sites More sharing options...
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