srajal jain Posted July 9, 2018 Report Share Posted July 9, 2018 नमोस्तु आचार्य भगवंत??? # ( गुरु भक्ति) # ?रचना- मुनि प्रणम्य सागर जी महाराज मुख की छटा की छवि लागे ऐसी प्यारी जैसे, चांदनी चकोर सम पूनम की प्याली है। तप की तपा से खिली रूप की चमक जैसे , सूरज तपन से कुसुम खिलने वाली है। ज्ञान का प्रकाश पुंज तीन लोक जगमगो, दूर तम का तमाशा आत्मा मवाली है। तनिक सी आयु में उपाय मुक्ति को करें जे, लागे मुक्ति नारि अब वधू बनने वाली है।। भव रोग दूर करें राग मोह मद हरें, ऐसे गुरू सूरी के दर्श आज पाये हैं। तन पे जुलम करें करम अलग करें, श्रद्धा उर धारे निश्चय मन को लुभायें हैं। मुद्रा लख अविकारी भेद विज्ञान होत, देव नर जन सब पाके हर्षाये हैं। गुरु विद्यासागर के कर की कृपा से ही, मंगल ही मंगल है खूब सुख छाये हैं।। ?? नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु ?? Link to comment Share on other sites More sharing options...
srajal jain Posted July 9, 2018 Author Report Share Posted July 9, 2018 11 minutes ago, srajal jain said: नमोस्तु आचार्य भगवंत??? # ( गुरु भक्ति) # ?रचना- मुनि प्रणम्य सागर जी महाराज मुख की छटा की छवि लागे ऐसी प्यारी जैसे, चांदनी चकोर सम पूनम की प्याली है। तप की तपा से खिली रूप की चमक जैसे , सूरज तपन से कुसुम खिलने वाली है। ज्ञान का प्रकाश पुंज तीन लोक जगमगो, दूर तम का तमाशा आत्मा मवाली है। तनिक सी आयु में उपाय मुक्ति को करें जे, लागे मुक्ति नारि अब वधू बनने वाली है।। भव रोग दूर करें राग मोह मद हरें, ऐसे गुरू सूरी के दर्श आज पाये हैं। तन पे जुलम करें करम अलग करें, श्रद्धा उर धारे निश्चय मन को लुभायें हैं। मुद्रा लख अविकारी भेद विज्ञान होत, देव नर जन सब पाके हर्षाये हैं। गुरु विद्यासागर के कर की कृपा से ही, मंगल ही मंगल है खूब सुख छाये हैं।। ?? नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु ?? गुरु चरणानुरागी... सृजल जैन गोटेगांव Link to comment Share on other sites More sharing options...
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