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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

आइये अर्हं ध्यान का प्रारम्भिक अभ्यास करे


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  1. सर्वप्रथम अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु मुद्रा का कम से कम आधा मिनट अभ्यास करें।
  2. इन मुद्राओं का अभ्यास यथाशक्ति बढ़ाया जा सकता है।
  3. शांत बैठ जायें, ज्ञान मुद्रा में स्थित हों।
  4. थोड़ी देर अपनी श्वासों पर ध्यान दें। नासिका छिद्रों से आती-जाती श्वांस को देखते रहें।
  5. फिर अपने नाभि चक्र पर ॐ को स्थापित करें और मस्तिष्क पर अर्हं के अक्षरों को स्थापित करें।
  6. ॐ अर्हं नम: का लय बद्ध जोर से उच्चारण के साथ नाद करें।
  7. यह नाद तीन से अधिक बार जितना संभव हो करें।
  8. मन को इस प्रक्रिया से बांध कर रखें।
  9. ॐ अर्हं का प्रकाश जब बढ़ जाए तो शांत बैठकर पूरे शरीर में फैली हुई आत्मा का अनुभव करें।
  10. मन हटे तो पुन: श्वास पर टिकायें या फिर पूरे शरीर के संवेदनों को एक साथ ध्यान से देखते रहें।
  11. इस तरह 10-15 मिनट तक मन को शान्त और स्थिर करने के बाद आप अपने पूरे शरीर को और मन को स्वस्थ एवं ऊर्जावान महसूस करने लगेंगे।
  12. इसके बाद अर्हं योग क्रिया करें।
  13. मन को विशुद्ध भावों से भरने के लिए अर्हं योग प्रार्थना करें।
  14. ध्यान समाप्त करके अपने आसपास की ऊर्जा को विश्व कल्याण की भावना से विसर्जित कर दे |
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  • 2 months later...
On 6/20/2018 at 2:45 PM, संयम स्वर्ण महोत्सव said:
  1. सर्वप्रथम अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु मुद्रा का कम से कम आधा मिनट अभ्यास करें।
  2. इन मुद्राओं का अभ्यास यथाशक्ति बढ़ाया जा सकता है।
  3. शांत बैठ जायें, ज्ञान मुद्रा में स्थित हों।
  4. थोड़ी देर अपनी श्वासों पर ध्यान दें। नासिका छिद्रों से आती-जाती श्वांस को देखते रहें।
  5. फिर अपने नाभि चक्र पर ॐ को स्थापित करें और मस्तिष्क पर अर्हं के अक्षरों को स्थापित करें।
  6. ॐ अर्हं नम: का लय बद्ध जोर से उच्चारण के साथ नाद करें।
  7. यह नाद तीन से अधिक बार जितना संभव हो करें।
  8. मन को इस प्रक्रिया से बांध कर रखें।
  9. ॐ अर्हं का प्रकाश जब बढ़ जाए तो शांत बैठकर पूरे शरीर में फैली हुई आत्मा का अनुभव करें।
  10. मन हटे तो पुन: श्वास पर टिकायें या फिर पूरे शरीर के संवेदनों को एक साथ ध्यान से देखते रहें।
  11. इस तरह 10-15 मिनट तक मन को शान्त और स्थिर करने के बाद आप अपने पूरे शरीर को और मन को स्वस्थ एवं ऊर्जावान महसूस करने लगेंगे।
  12. इसके बाद अर्हं योग क्रिया करें।
  13. मन को विशुद्ध भावों से भरने के लिए अर्हं योग प्रार्थना करें।
  14. ध्यान समाप्त करके अपने आसपास की ऊर्जा को विश्व कल्याण की भावना से विसर्जित कर दे |

 

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