Palak Jain pendra Posted November 5, 2022 Author Report Share Posted November 5, 2022 हे इस युग के शिरोमणि, प्रातः स्मरणीय मेरे गुरु, हे जैनों के जैनाचार्य, सर्व हितकरी मेरे आचार्य, हे संतो मे सर्व श्रेष्ट, हम शिष्यों के देवाधिदेव, हम करते तुमको नमस्कार, ह्दय वेदी से नित बारम्बार, तुम जैसा यहाँ शिष्य नहीं, ना ही गुरु तुम सा समान, हे त्याग मूर्ति हो तुम्हें प्रणाम, व्रत के धारी हो तुम्हें प्रणाम, हे वितरागी हो तुम्हें प्रणाम, दिगंबर धारी हो तुम्हें प्रमाण, हे बाल ब्रह्मचारी तुम्हें प्रणाम, गृह त्यागी हो तुम्हें प्रणाम। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted November 6, 2022 Author Report Share Posted November 6, 2022 दर्शन जब किये थे मैंने, खुद को फिर ना रोक पाई, एक टगर से देखा तुझको, फिर भी कुछ ना कह पाई, वो चाँद से मुखड़े पर तेरी, मुस्कान बहुत ही प्यारी है, तप संयम के इस बगिया की, महक बहुत ही न्यारी है। समीप आकर गुरुवर तेरे, तुझमें ही मै खो जाती, पर से मुझको क्या लेना, तेरी ही मैं हो जाती, इस बेरंग दुनिया मे, तूने ज्ञान के रंग भरे, तुझे पाकर ऐसा लगता, कुछ भी पाना शेष नहीं। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted November 9, 2022 Author Report Share Posted November 9, 2022 जिन्होंने आगम को दी नई पहचान है, जो जीवन मे बनकर आए नई उड़ान है, जिन्होंने ज्ञान से पाया जग का सार है, उन्होंने जग मे लुटाया ज्ञान निसार है, उनको वंदन हमारा लाखों बार है, उनको वंदन हमारा लाखों बार है।🙏🏻 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted November 16, 2022 Author Report Share Posted November 16, 2022 अनमोल गुरु है गुरु अनमोल, हम पावन तीरथ कहते है, अपने गुरु को मन मंदिर मे, सबसे ऊपर रखते है। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted November 19, 2022 Author Report Share Posted November 19, 2022 जल चन्दन अक्षत पुष्प नैवेघ, दीप धूप फल आया हूँ, अब तक जो मैंने किये पुण्य, उनका फल पाने आया हूँ, यह जीवन अर्पण करता हूँ, गुरु चरण रज दो हे स्वामी, यह अर्घ समर्पित तुमको है, चरणों मे जगह दो हे स्वामी। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted July 17, 2023 Author Report Share Posted July 17, 2023 जीवन के अंधेरे मे सूरज रूपी रौशनी हो तुम, काली अंधेरी रात मे चांद सी चांदनी हो तुम, निःशब्द से शब्दों मे भाव रूपी कलम हो तुम, जिज्ञासा का समाधान सावल का हल हो तुम। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted July 17, 2023 Author Report Share Posted July 17, 2023 जब गुरु महिमा की बात होती है, तो सारी शब्द माला बोनी लगती है, निःशब्द हो जाते है लेखक भी, स्याही कलम फीके हो जाते है, तब श्रद्धा से भरे भाव मन के, भक्ति के अश्रु बन नैनो से झलकते है, अन्तः मन से एक ध्वनि निकलती है, गुरु अपना आशीर्वाद बनाये रखना, मै तो आबोध बालक हूँ गुरुवर, भवों से भटकते आज शरण आया हूँ, कोई नही मेरा एक आपके सिवा, मार्गदर्शन पाने आपकी शरण आया हूँ। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted September 2, 2023 Author Report Share Posted September 2, 2023 जिनके पद चिन्हो मे चल सही राह का बोध हुआ, एक अबोध बालक को भी सही ज्ञान का शोध हुआ, मिल ही जाएगी उनसे मुक्ति हमको पूर्ण विश्वास है, सम्पूर्ण समर्पण उनको कर दो उनमे ही भगवान है। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted December 12, 2023 Author Report Share Posted December 12, 2023 ज्ञान दिवाकर धरती मे जिससे कण कण प्रकाशित है, उनके तप संयम की गाथा गाता धरा और अम्बर है, झूम जाती है प्रकृति वहा जहाँ पड़ते उनके चरण है, प्रभु महावीर के वेश मे गुरु अद्भुत विद्या सागर है। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted December 12, 2023 Author Report Share Posted December 12, 2023 ज्ञान दिवाकर धरती मे जिससे कण कण प्रकाशित है, उनके तप संयम की गाथा गाता धरा और अम्बर है, झूम जाती है प्रकृति वहा जहाँ पड़ते उनके चरण है, प्रभु महावीर के वेश मे गुरु अद्भुत विद्या सागर है। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted February 13 Author Report Share Posted February 13 चतुर्थ काल की चर्या कर जैसे मुनिवर युग मे रहते थे, अपने संग लाखो प्राणी का उद्धार सहज ही करते थे, निः सन्देह मेरे गुरुवर की चर्या उन सम कम नही है, लग जाये उमर मेरी उनको वो मुझे प्रभु से कम नही है। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted February 16 Author Report Share Posted February 16 तुम पूछते हो मुझसे क्यो गुरु को ह्दय बसाते हो, क्यो तुम अपनी राहो का मंजिल उन्हे बताते हो, मेरे कई विचारों का उलझनों का अंत हुआ था, जब मेरा मेरे विद्या गुरु से साक्षात् दर्श हुआ था। तो कैसे ना मै अपने गुरु को अपने ह्दय बसाऊंगा, अरे वो जिस राहे बोलेगे मै उस राहे चल जाऊंगा, तन माना मेरा है पर प्राण वही है इस तन के, मै शिवपथ की हर राहो मे बस उनको गुरु बनाऊंगा। Link to comment Share on other sites More sharing options...
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