Palak Jain pendra Posted October 22, 2022 Author Report Share Posted October 22, 2022 एक संत ही मन को भाता, प्रभु संग है उसका नाता, प्रभु सिद्ध शिला मे विराजे, वो पावन धरा मे राजे, मुझे गंगा जल से पावन, उनके चरणों का रज कण, मुझे अमृत से भी प्यारी, उनके मुख की है वाणी। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 22, 2022 Author Report Share Posted October 22, 2022 तोड़ दिए है सारे बंधन, नाता जग से तोड़ लिया, रत्नत्राय धार लिया गुरु ने, नाता प्रभु सँग जोड़ लिया, बढा दिया है कदम अपने, मोक्ष पथ की राहों मे, लिए ज्ञान का ज्ञान साथ, संयम पथ की राहों मे। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 22, 2022 Author Report Share Posted October 22, 2022 मेरे गुरु की महिमा का क्या बखान करुँ, उनके सामने तो मेरे शब्द भी छोटे है, जिन्हें रोक ना पाई कभी सर्द तफन, देखो कैसे पंचम युग मे चतुर्थ युग से खड़े है। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 23, 2022 Author Report Share Posted October 23, 2022 आपने जो दिया है मुझको, लफ्ज मे ना हो वया, आपकी करुणा से मुझको, मिला है जीवन नया। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 23, 2022 Author Report Share Posted October 23, 2022 माना शिष्य मे प्रभु बनने की, होती है क्षमता विशेष, पर जीवन मे गुरु ना हो तो, वो ना जा सकता आत्म प्रदेश, माना मोक्ष का द्वार है, हर जीवो के लिए खुला, पर गुरु रूपी सीढ़ी बिना, ना जा सकता कोई वहाँ। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 23, 2022 Author Report Share Posted October 23, 2022 कितना अच्छा लगता मुझको, पंचम युग मे गुरु को पाना, मानो सूखी पड़ी भूमि पर, जल का आके प्यास बुझाना, मेरी फसी हुई थी नईया, बीच भवर मे भव - भव से, मानो उसको भव पार कराने, गुरुवर का मुझको मिल जाना। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 24, 2022 Author Report Share Posted October 24, 2022 हर एक स्वांस मे मेरे गुरु, हर एक बात मे मेरे गुरु, यदि मैं अमावास्या का अंधकार, तो पूनम का चाँद है मेरे गुरु। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 24, 2022 Author Report Share Posted October 24, 2022 पूरन हुआ है सपना आज, गुरु दरबार मे आने से, अब जग मे कुछ रहा नहीं, गुरुवर के मिल जाने से। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 25, 2022 Author Report Share Posted October 25, 2022 तुमने कितनों का उद्धार किया, कितनों को भव से पार किया, खोली तुमने है प्रतिभा स्थलीय, किया गौ सेवा को सर्वोपरि, पूरी मैत्री है एक वरदान, पूर्णायु है गौरव सम्मान, संस्कृति का हुआ पुनर्जन्म, हथकरघा उसमें सर्वप्रथम, भारत को भारत कहो सदा, स्वदेशी अपनाओ कहा, मन्दिरो का किया जिणोद्धार, कई मंदिरो का भी किया निर्माण। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 25, 2022 Author Report Share Posted October 25, 2022 तेरे सिवा कौन है मेरा, किसी कहुँ अपना पराया, गुरु आपके भरोसे पर, जी रहा हूँ जीवन सारा। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 25, 2022 Author Report Share Posted October 25, 2022 गुण गान करुँ क्या गुरु का, कुछ शब्द समझ ना आऐ, जो भावों से कहना चाहा, वो शब्दों से ना कह पाये, जिनकी रचना हो स्वयं श्रेष्ठ, जो खुद व खुद मे सर्वश्रेष्ठ, मुख से निकला हर शब्द मन्त्र, प्रवचन उनके खुद स्वयं ग्रन्थ। पंचम युग के महा ऋषि को, मैं अपने ह्दय विराजती हूँ, उनके इस कोमल चरणों को, मैं नित्य नित्य शीश झुकाती हूँ। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 26, 2022 Author Report Share Posted October 26, 2022 मन मे एक दीप जलाये, बस गुरु को पूजा है, जो जग मे सर्व श्रेष्ट, उन सा ना दूजा है, जो काले आकाश मे, चाँद से चमकते है, जो घने अंधकार मे, जुगनू से दमकते है, जो तीर्थंकर सा तेज लिए, विश्व को महकाते है, ऐसे गुरु विद्या सागर, गुरु तीर्थ कहलाते है, 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 26, 2022 Author Report Share Posted October 26, 2022 मौसम बदले सादिया बदले, या बदले खुद ही हर काया, पर गुरु समर्पित मन ना बदले, जिसपर गुरु को बिठलाया, सूरज बदले चंदा बदले, या बदले खुद ही हर तारा, पर गुरु का सर से हाथ ना बदले, जिसपर जीवन चल पाया। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 27, 2022 Author Report Share Posted October 27, 2022 कलयुग खुद मे इतराता, विद्या गुरु के आने से, चाँद खुद ही शर्माता, गुरु कि झलक पाने से, सूरज खुद ही झुक जाता, गुरुवर के दिख जाने से, ह्दय खुद ही खिल जाता, गुरुवर के मुस्काने से। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 27, 2022 Author Report Share Posted October 27, 2022 मैंने देखें एक संत, बिल्कुल दिखते अरिहंत से, मेरे प्रभु वीर से, हां साक्षात् महावीर से, जिनका हर एक पद तो देखो, धरती पर वरदान है, हर जीवो की रक्षा हो, ऐसे उनके भाव है, हर जीवो पर करुणा है, हर जीवो से प्यार है, निःस्वार्थ भाव से हर जीवो का, करते वो कल्याण है, ऐसे संत इस युग के, सबसे बड़ा वरदान है, ऐसा लगता उनका जन्म, हम सब पर उपकार है। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 28, 2022 Author Report Share Posted October 28, 2022 मेरे गुरुवर हो तुम, मेरे भगवन हो तुम, देवता के स्वरूप, विद्यासागर हो तुम, मेरे ऋषिवर हो तुम, मेरे प्रभुवर हो तुम, ज्ञानसागर स्वरूप, विद्यासागर हो तुम, परम परमेश्वर हो तुम, पंच परमेष्ठी हो तुम, अरिहंत सिद्ध स्वरूप, विद्यासागर हो तुम, मेरे आचार्य हो तुम, जैनाचार्य हो तुम, महा संत स्वरूप, विद्यासागर हो तुम।🙏🏻 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 28, 2022 Author Report Share Posted October 28, 2022 गुरुवर तेरे गुण गाऊ मैं, इतनी मुझमें बात कहा, सूरज को दीप दिखाऊं मैं, इतनी मेरी ओकात कहा, गगन मे तारे अनेको है, उनमे ध्रुव सी वो बात कहा, जग मे संत अनेको है, उनमे गुरु सी वो बात कहा। 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 29, 2022 Author Report Share Posted October 29, 2022 तीर्थंकर से शिव पथ दर्शी हो तुम, निज ध्यानी हो, तप त्यागी हो, अनियत विहारी हो, संघ नायक हो, ग्रन्थ रचेता हो, मन के मर्मज्ञ हो, पूर्ण दिगंबर हो, वैरागी हो, गृह त्यागी हो, बल ब्रम्हचारी हो, सर्व ज्ञाता हो, जग विधाता हो, ज्ञान के सागर हो, मेरे गुरु विद्या सागर हो। 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 29, 2022 Author Report Share Posted October 29, 2022 जिनकी चर्या मे तो देखो, चारों अन्योग्य समाते है, जिनकी भक्ति से हम खुद को, प्रभु समीप ही पाते है, जिनके गुणों की महिमा देखो, देव लोक भी गाते है, ऐसे गुरु विश्व वन्दनीय, विद्यासागर ही कहलाते है। 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 30, 2022 Author Report Share Posted October 30, 2022 जागे भाग्य है मेरे, गुरु दर्शन हैं पाया, सत्कर्मो के ही कारण, गुरु भक्त बन पाया, सौभाग्य होगा है मेरा, गुरु हाथो कल्याण हो, जब प्राण निकले मेरे, गुरु नाम मेरे साथ हो। 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 31, 2022 Author Report Share Posted October 31, 2022 किसी गली किसी डगर मे, भाग्य तुम्हारे खुल जाए, सोचा है कभी तुमको तुम्हरे, गुरुवर खड़े मिल जाए, तो सोचो तुम अपने गुरु का, कैसे चरण पखारो गे, कैसे गुरु को अपने द्वारे, अपने संग ले आओगे, कैसे उनको अपने मन कि, हर एक बात बताओगे, कैसे अपने मन के अंदर, गुरु कि छवि दिखाओगे।🙏🏻 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted November 1, 2022 Author Report Share Posted November 1, 2022 जो स्वयं तीर्थ से कम नहीं, और अरिहंत जैसे दिखते है, जिनकी एक झलक पाने ही, हम व्याकुल से हो उठते है, जिसके सम्मुख सूरज चंदा, और नभ स्वयं झुक जाते है, जिनके एक दर्श से देखो, चेहरे लाखों खिल जाते है, जो स्वयं एक वैरागी हो, और हमें वीतरागता बतलाते है, ऐसे गुरु विद्यासागर को, हम शत् शत् शीश झुकाते है। 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted November 2, 2022 Author Report Share Posted November 2, 2022 गुरु वो जिसके पास जाकर लगे, कहीं और जाना ही नहीं अब, गुरु वो जिसके चरणों मे लगे, समर्पण कर दूँ सब कुछ अब, गुरु वो जो त्याग कि मूर्ति हो, सादगी कि एक तस्वीर हो, गुरु वो जो ज्ञान का एक अंश हो, या विद्यासागर मेरे संत हो। 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted November 3, 2022 Author Report Share Posted November 3, 2022 कलयुग मे मुझे आप मिले, जैसे त्रेता मे सबरी को, धन्य हुई हूँ आज मैं गुरुवर, श्याम मिले जैसे मीरा को, पचंम युग के भाग्य जगे है, विद्या पुष्प के खिलने से, हम जैनों का मान बढा है, गुरुवर के रज चरणों से। 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted November 4, 2022 Author Report Share Posted November 4, 2022 मैं गुरुवर तुझ पर लिखना चाहु, पर फिर भी कुछ ना लिख पाउ, इतनी शक्ति कहा से लाऊ, इतनी भक्ति कहा से लाऊ। है शब्द नहीं गुणगान करुँ, गुरु के गुण का बखान करुँ, पर फिर भी लिखना चाहा है, गुरु गुण को कहना चाहा है, मुझमें इतनी वो बात कहा, इतनी मुझमें अवकात कहा, गुरु के गुण को बाँध सकूँ, गुरु महिमा को जान सकूँ। पर फिर भी शब्द पिरोये है, भावों से उसे सजोये है, तुम आकर उसमें प्राण भरो, गुरु भक्ति से जान भरो। Link to comment Share on other sites More sharing options...
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