Vaibhav Paratwar Jain Posted June 16, 2017 Report Share Posted June 16, 2017 जय बोलो आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज की जय !! हम सब लोग आचार्यश्री के प्रति बड़े ही भक्ति, भाव से जुड़े हुए हैं उनका स्वर्णिम दीक्षा दिवस मनाने के लिए | हम खुद को आचार्यश्री और उनके शिष्यों का भक्त मानते जरूर हैं, मगर क्या हम उनके दिखाए गए मार्ग पर चलते हैं? ये तो हर एक को अपने आप में झाँक कर देखने की बात है और तय करना है कि क्या हम आचार्य श्री जी के सच्चे भक्त कहलाने के योग्य कुछ कर रहे हैं ? उनके निर्देशन में चल रहे हथकरघा के उत्पाद हम कितना काम में लेते हैं? उनके निर्देशन में शुरू हुई प्रतिभा स्थली जैसे विद्यालयों में हम में से कितने लोग अपनी बच्चियों को भेजना पसंद करते हैं? हालांकि यह सब धार्मिक क्रियाएं भी नहीं है, यह तो हमारे रोज मर्रा में लगने वाली जरूरतों में से एक है| फिर भी क्या हम सच्चे मन से उनको अपनाते हैं या अपनाना चाहते हैं? इसी एक श्रंखला में और एक बात जो आचार्यश्री हमेशा से बताते आये है.. कि इंडिया नहीं भारत कहो.. भारतीय बनो.. भारतीय इस्तेमाल करो.. ! अभी की परिस्थितियों से अगर हमें ऊपर आना है.. सच्चे भारत की ओर आना है तो हमें अपने आने वाली पीढ़ी को एक ऐसा माहौल देना होगा जिससे कि वह भटके नहीं| उसके लिए हमें अपने शिक्षण संस्थान खोलने होंगे.. जो कार्य अभी पिछले कुछ सालों से देखने में भी आ रहा है| मगर वह कार्य भी अभी की शिक्षा पद्धति से ही हो रहा है| मूल भारत की शिक्षा पद्धति थी गुरुकुल पद्धति! उसके बारे में अभी भी हम कुछ सशंक से दिखाई देते हैं और उस ओर हम कुछ निष्क्रिय से ही दिखाई देते हैं| इसकी एक वजह है कि हम कान्वेंट के जाल में इतने फंसे हुए हैं कि उससे बाहर निकलना मानो मछली को जल से बाहर निकलना सा मुश्किल नज़र आ रहा है| फिर भी इस काल में भी कुछ जैनेतर बंधु ऐसे गुरुकुल चला रहे हैं जहाँ भारतीयत्व सिखाया जाता है| जहाँ अंग्रेजी, गणित, अर्थशास्त्र और दूसरे अन्य विषयों के साथ साथ संस्कृत, खेती, स्वाबलंवन जैसी जीवन आवश्यक विषय भी सिखाये जाते हैं| वहाँ कोई फीस भी नहीं ली जाती| सब काम दान से ही होता है| हम जैन लोग भी अगर ऐसा कोई उपक्रम हाथ में लें तो इंडिया से भारत की ओर का तो पता नहीं मगर जैनों को फिर से जैन बनाने में जरूर उपयोग होगा, जो आगे जाकर भारतीयत्व भी जगा देगा| अगर हम लोग मिलकर यह कदम उठा सकें तो यही होगी आचार्यश्री जी के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा | नीचे दिए गए संकेत स्थल को जरूर देखें जहाँ एक ऐसा ही उपक्रम बंगलौर के पास तुमकुरु के पास में चल रहा है| वेबसाइट : http://vidyakshetra.org/ 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
प्रवीण जैन Posted June 16, 2017 Report Share Posted June 16, 2017 आपने बहुत ही बढ़िया बात लिखी, सभी गुरु भक्तों के लिए अब समय आ गया है कि वे परम पूज्य गुरुदेव के संदेशों को आत्मसात करें, केवल जयजयकार करते रहने से काम नहीं चलने वाला. 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Vaibhav Paratwar Jain Posted June 20, 2017 Author Report Share Posted June 20, 2017 क्या हम कुछ लोग मिलकर ऐसा कोई गुरुकुल खोल सकते है? बहनो के लिए तो प्रतिभा स्थली जैसी पाठशाला है| मगर हमारे आने वाली पीढ़ी के भाइयों, बच्चो के लिए ऐसी एक पाठशाला खुले जो सिर्फ बोर्ड एक्साम्स का पाठ्यक्रम न लेकर कुछ स्वावलम्बन के विषय जैसे की खेती, पर्यावरण, साहित्य और कला, संस्कृति, औषधि चिकत्सा, व्यवसाय, अर्थनीति, धर्मनीति इत्यादि का पाठ्यक्रम चलाये और वह भी ऐसी जगह जहां पर धरम का मार्ग भी सुकर हो | निसर्ग के बिच में रहकर जो हमारी आनेवाली पीढ़ी सीखेगी वह उनके रोम रोम में जा घुलेगा. Link to comment Share on other sites More sharing options...
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