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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

हथकरघा विशेष प्रवचन


Vidyasagar.Guru

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*🎡हथकरघा की प्रेरणा देने के पीछे अहिंसा का उद्देश्य स्वयं आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के मुख से सुने*

🤔आप जानते हो क्या कि बाजार में जो वस्त्र मिलते हैं उनमें *mutton tallow* नाम का मांस का घटक मिश्रित रहता है 

➡️बाजार के वस्त्रों में *mutton tallow* नाम का मांस का घटक इसलिए मिलाया जाता है ताकि कपड़े की मजबूती बढ़े अन्यथा शुद्ध कॉटन से बने कपड़े कुछ ही वर्षों में जीर्ण हो जाते हैं और फट जाते हैं।

*🤦🏽‍♂️अब यह हिंसा द्वारा प्राप्त मांस के घटकों से बना बाजार का अशुद्ध कपड़ा निम्नलिखित जगहों पर उपयोग किया जाता है*
👇🏽👇🏽👇🏽

*1️⃣ श्रीजी के प्रक्षाल के समय प्रतिमा जी का मार्जन इस अशुद्ध मांस युक्त कपड़े से होता है*

*2️⃣ चौके में मुनियों का आहार बनाते समय और देते समय अनेक जगह इस अशुद्ध मांस युक्त कपड़े का उपयोग होता है*

*3️⃣ आप पूजन विधान करते हैं तो इस मांस युक्त अशुद्ध कपड़े के मांडने पर करते हैं एवं उसी अशुद्ध कपड़े से बनी सोला, धोती, दुपट्टा एवं साड़ियां पहनते हैं*

*4️⃣ आप किसी तीर्थ क्षेत्र एवं पहाड़ पर वंदना करते हैं तो मांस युक्त अशुद्ध कपड़ा पहकर वंदना करनी पड़ती है*

*5️⃣ आप कोई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाते हैं तो उसमें कितनी जगहों पर मांस युक्त अशुध्द कपड़े का उपयोग होता है*

*6️⃣ आप जिनवाणी के ग्रंथों का वेष्टन भी मांस युक्त अशुद्ध कपड़े से बनाते हैं*

*7️⃣ आप मुनियों को चौके में जल छानकर देते हैं अथवा स्वयं भी जल छानकर पीते हैं तो जिस कपड़े से आप जल छान रहे वह मांस युक्त अशुद्ध कपड़े से बनाते हैं*

*🎡 उपरोक्त मांस युक्त अशुद्ध कपड़ा उपयोग न करना पड़े एवं कपड़े के निमित्त से जो हिंसा होती है वह रुके उसके लिए हथकरघा की प्रेरणा दी गई है तो इससे पूरी समाज को ही शुद्ध अहिंसक कपड़ा मिलने से लाभ हुआ है और जो धार्मिक क्रियाओं में अशुद्ध मांस युक्त कपड़ा उपयोग करने से जो श्रावकों को घोर पाप लगता था उसका परिहार हुआ है*

 

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