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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

*देश के प्रति बहुमान रखना महत्वपूर्ण है:-**मुनि श्री भाव सागर जी महाराज*


Sanyog Jagati

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*बीना 16/08/2020*
*देश के प्रति बहुमान रखना महत्वपूर्ण है - मुनि श्री भाव सागर जी महाराज*

*(स्वतंत्रता दिवस पर दिया विशेष उद्बोधन)*
*दश लक्षण महापर्व केसे मनाए  यह बताया*
 राष्ट्रहित चिंतक,सर्वश्रेचष्ठ *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* के आज्ञानुवर्ती शिष्य*मुनि श्री विमलसागर जी महाराज (ससंंघ) पर्श्वनाथ दिगंबर जैन चौबीसी जिनालय बड़ी बजरिया बीना जिला सागर मध्य प्रदेश मे विराजमान है।
*मुनि श्री भाव सागर जी ने कहा कि*
23 अगस्त से 1 सितंबर तक दिगंबर जैन धर्म के दशलक्षण महापर्व प्रारम्भ हो रहे है! 
इस बार  कोरोना के कारण पूर्व जैसे पर्व नहीं मना पाएंगे लेकिन घर पर रहकर ही यह पर्व मनाना है! मांगलिक क्रियाएं तो होंगी लेकिन सभी को अवसर प्राप्त नहीं होगा! शासन प्रशासन के वर्तमान नियमों का पालन करते हुए हमें पर्व मनाना है !पर्व हमें पवित्रता , प्रसन्नता , उत्सव , शुभ अवसर प्रदान करते हैं! यह मंगल काल माना जाता है, जो मैत्री प्रदान करता है! पर्व  एक अलार्म बेल है! पर्व एक इंजेक्शन है जो एनर्जी देते हैं! पर्व नेतृत्व प्रदान करते हैं! पर्व दिशासूचक  यंत्र का कार्य करते हैं ! पर्व आत्मनिरीक्षण, आत्म जागृति, आत्मा की  उपलब्धि प्रदान करते हैं ! दश लक्षण महापर्व में जो उपवास होते है उसमे दिगंबर जैन धर्म के अनुसार चारों प्रकार के आहार का त्याग उपवास कहलाता  ह! यदि किसी की सामर्थ्य नहीं है तो जल, दूध आदि तरल पदार्थ लेकर भी उपवास करते हैं ! वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है कि पूरे विश्व में लगभग 80 प्रतिशत जल है हमारे शरीर में भी 80% जल है इसलिए उपवास के माध्यम से बरसात में जो जल की मात्रा है वह बढ़ जाती है उसको कम करने के लिए उपवास किया जाता है! अष्टमी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावस्या में समुद्र में भी जल की मात्रा बढ़ जाती है इसलिए कई अपराध भी इन तिथियों में बढ़ जाते हैं इसलिए वेज्ञानिक   दृष्टि उपवास फायदेमंद है! निर्जल उपवास या तरल पदार्थ लेकर उपवास कर  सकते हैं  या एकासन अर्थात एक बार भोजन जल ग्रहण करें या यह नहीं कर पा रहे हैं तो दो बार शुद्ध भोजन ग्रहण करें !अभिषेक ,शांतिधारा, पूजन ऑनलाइन देखने मिलेगी तो देख कर धार्मिक क्रियाएं घर पर करे ! स्त्रोत पाठ और जाप घर पर करें गर्म जल सभी रोगों की दवा है उबला जल सभी बीमारियों को दूर करता है शांति धारा में विश्व मंगल की कामना की जाती है दुनिया के सभी लोगों के लोग ठीक हूं ऐसी भावना से यह शांति द्वारा की जाती है मुनि श्री अचल सागर जी ने कहा कि कल स्वतंत्रता दिवस था हमें स्वतंत्र हुए कितने वर्ष हो गए स्वतंत्र नहीं हुए अंग्रेजों के जाने के बाद भी स्थिति अच्छी नहीं है हमारा देश सोने की चिड़िया था जो आजादी के बाद होना था देश को आत्मनिर्भर बनाने का वह अब हो रहा है हमारे देश को गुलामी की आदत पड़ चुकी है हमारे ऊपर शासन करने वाले लोकतंत्र की कमी है जब देश को गुलाम बनाना था तो अंग्रेजों ने व्यवसाय आदि को बंद कर दिया था आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज कहते हैं कि भारत को इंडिया नहीं भारत बनाना है अपने देश का अभिमान जब तक हम नहीं समझेंगे तब तक आत्मनिर्भर नहीं हो पाएंगे स्वतंत्रता की बात तो कर रहे हैं लेकिन स्वतंत्र नहीं है अभी तो हम गुलाम हैं हमें आजादी को प्राप्त करना है स्वतंत्रता में उत्तरदायित्व की भावना होती है 73 वर्ष के बाद आत्मनिर्भर भारत की बात चल रही है आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा है कि हमारी मातृभाषा में जब तक शिक्षा नहीं होगी तब तक हम स्वतंत्र नहीं होंगे स्वदेशी वस्तुएं अपनाएंगे तभी हम स्वतंत्र होंगे देश के प्रति बहू मान रखना अपूर्ण है अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम आदि नहीं पढ़ आएंगे तो हम स्वतंत्रता का अनुभव कैसे कर पाएंगे हरदा के वस्त्रों को यदि उपयोग करेंगे तभी स्वदेशी के समर्थक बनेंगे चीन की वस्तुएं खरीदी और देख लिया कि हमारे ऊपर हावी होने लगा बढ़ावा तो हम ने ही दिया है तात्कालिक लाभ के लिए आज भारत बहुत बड़ा निर्यातक होता यदि ऐसी भावना बनी रही तो ना देश की तरक्की होगी ना समाज की इसलिए हमें स्वतंत्रता का अनुभव करना है

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