Sanyog Jagati Posted November 19, 2019 Report Share Posted November 19, 2019 करकबेल *भारत जब से इंडिया बना है तब से दुर्दशा हो रही है: मुनिश्री* (पंचकल्याणक महोत्सव ज्ञान कल्याणक की क्रियाए हुई) करकबेल जिला नरसिंहपुर( मध्यप्रदेश) मे सर्व श्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी महाराज(ससंघ) ,आर्यिका मृदुमती माताजी ,आर्यिका निर्णय मति माताजी के (ससंघ)सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य वाणी भूषण विनय भैया जी बंडा के निर्देशन में पंचकल्याणक महोत्सव चल रहा है यह कार्यक्रम सरकारी अस्पताल ग्राउंड करकबेल तह. गोटेगांव जिला नरसिंहपुर (म.प्र) में चल रहा है यह महोत्सव 19 नवंबर तक चलेगा इसमें 18 नवंबर को प्रातः अभिषेक शांतिधारा पूजन आदि हुए सभी ने नृत्य गान करके भक्ति की ।दोपहर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की क्रियाए हुई ।समवसरण की रचना हुई। रात्रि में ब्रह्मचारी जितेन्द्र भईया दिल्ली के प्रवचन हुए। नाटिका एवं आरती के कार्यक्रम चल रहे हैं इस कार्यक्रम में देशभर से श्रद्धालु आ रहे हैं। इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमलसागर जी ने कहा कि भाग्य और पुरुषार्थ दोनों को महत्व दिया जाता है। भाग्य के भरोसे मत जिओ पुरुषार्थ करो। वर्तमान का पुरुषार्थ भाग्य बन कर चमकेगा, धर्म पुरुषार्थ पूर्वक ही सभी पुरुषार्थ करना चाहिए। 8 घन्टे व्यापार आदि करना चाहिए 8 घण्टे धर्म करना चाहिए 8 घण्टे अन्य पुरुषार्थ करना चाहिए। प्रभु ने षट कर्मो का उपदेश दिया कि अपनी कलाओं का प्रदर्शन करना, पुरुष की 72 कलाएँ होती हैं। स्त्री की 64 कलाएँ होती हैं। भारत की रक्षा जो हो रही है, बॉर्डर पर सैनिक कर रहे हैं इसके कारण सभी शांति से बैठे हैं। सबसे पहले कहा है कृषि करो, जिससे फसल अच्छी आए और देश ,समाज ,परिवार का पालन हो। खेती-बाड़ी है भारत की मर्यादा, शिक्षा साड़ी है । आप का पहनावा भारतीय होना चाहिए। जबसे यह भारत, इण्डिया बना है तबसे दुर्दशा हो गई है। इण्डिया हटाओ भारत लाओ। यह भारत प्रतिभारत बने। भारत की बहुत सी प्रतिभाएँ विदेश जा रही हैं इसको रोकना चाहिए। भारत पहले सोने की चिड़िया थी अब वह उड़ना भूल गई है। भारत मे जब तक सन्त विचरण करते रहेंगे कोई भी बाल बाँका नही कर सकता। सात्विक व्यापार करें जिससे निंदा नही हो। अहिंसक वस्त्र हथकरघा के अपनाना चाहिये। सोए हुए भारत को जगाना है। पंचम काल के अंत तक धर्म चलता रहे,यह सोचना है। पशुओं का पालन होगा तो धर्म का पालन होगा जिससे दूध, घी, आदि पदार्थ शुद्ध प्राप्त होंगे। गौरस के माध्यम से अच्छा अतिथि सत्कार होता है। पशु धन भारत की रीढ़ है। धर्म हमारे साथ जुड़ जाता है तो हमारा महत्व बढ़ जता है ।श्रावक के 2 प्रमुख धर्म है दान और पूजा। जो अवसर पर दिया जाता है वह सही दान माना जाता है ।जिस समय जिस वस्तु की आवश्यकता हो वह दान अ मूल्य हो जाता है ।दान के 7 क्षेत्र के अन्तर्गत भगवान की प्रतिमा विराजमान करवाना सर्वश्रेष्ठ स्थान पर पहुँचा देता है ।मन्दिर मे जो धन लगाता है वह स्वर्गो मे जाता है। वहाँ रत्नो के महल मिलते हैं ।भगवान की यात्रा करवाना भी दान है ।बड़े बड़े महोत्सव मे जो दान देता है वह विशेष पुण्य का अर्जन करता है ।शास्त्रो का प्रकाशन करवाना भी विशेष पुण्य के अर्जन का कारण है ।तीर्थो का जीर्णोद्धार करवाना यह भी पुण्य फलदायी है ।आचार्य श्री विद्यासागर जी के आशीर्वाद से हजारो वर्षो के लिए मन्दिर बनवाए जा रहे है। यथाविधि दान देना चाहिये ।साधु के चरण जिस घर मे पडते है उसका इतना पुण्य संचय हो जाता है कि उसको कोई कार्य करने की आवश्यकता नही पडती है। भोजन के पूर्व यह भावना भानी चाहिये की सभी के अच्छे से आहार हो। 19नवंबर को मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं संपन्न होगी प्रातः 6 बजे। अभिषेक शांतिधारा पूजन आरती होगी फिर प्रातः काल रथो के सारथी का चयन होगा । दोपहर मे 1 बजे गजरथ परिक्रमा होगी। Link to comment Share on other sites More sharing options...
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