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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

करेली में मुनि दीक्षा दिवस एवं मोक्ष कल्याणक महोत्सव ऐतिहासिक रूप से मनाया गया


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करेली 07/08 /2019
 
*मुनि दीक्षा दिवस एवं मोक्ष कल्याणक महोत्सव ऐतिहासिक रूप से मनाया गया*
करेली
जिला नरसिंहपुर
मध्यप्रदेश मैं
राष्ट्रहित चिंतक,सर्वश्रेष्ठ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के  शिष्य मुनि श्री विमलसागर जी ससंघ सानिध्य में 6 एवं 7 अगस्त को दो दिवसीय महोत्सव संपन्न हुआ। 6 अगस्त को मुनि श्री अचल सागर जी व मुनि श्री भाव सागर जी का 16वां दीक्षा दिवस 
मनाया गया । संघ नायक मुनि श्री विमल सागर जी महाराज पंच ऋषिराज सहित करेली के श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में विराजमान हैं । चातुर्मास में प्रतिदिन मुनि श्री विमल सागर सहित मुनि श्री अनन्तसागर जी ,मुनि श्री धर्मसागर जी,मुनि श्री अचलसागर जी व मुनि श्री भाव सागर जी के मुखारबिंद से भक्तो को धर्म का मर्म समझने मिल रहा है । इस दौरान धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि विरले लोग होते हैं जो वैराग्य के रंग में रंग जाते हैं। राग से मोड़कर बैराग्य की ओर कदम बढ़ा लेते हैं।  हमारे गुरुदेव ने  अतिशय दिखा दिया पूरा का पूरा संघ बाल ब्रह्मचारी है। आचार्य श्री ने असंभव को भी संभव करके दिखा दिया। जब मैं धर्म से जुड़ा,धर्मात्माओं से जुड़ा तब ऐसी भावना थी कि मुझे भी दीक्षा देखने का अवसर मिले लेकिन मुनि दीक्षा देखने को नही मिल रही थी,तभी भाव बनाये कि मुझे ही अब मुनि बनना होगा। इस राग में फंसना ठीक नही और जीवन का कोई भरोसा नही है इस कलिकाल में भोगों की प्रधानता है अगर वहां पर दिगम्बर मुद्राएं देखने को मिल जाएं तो क्या कहना.? ये अतिशय आचार्य श्री की वजह से हमें देखने मिल रहा है । आचार्य श्री ने तीन जीवंत चौबीसी मुनि दीक्षा देकर तैयार की है।जहां चारो ओर भोगो की प्रधानता है शरीर अन्न का कीड़ा बना हुआ है फिर भी मुनिराज दिख रहे हैं.... वैराग्य उत्तम वस्तु है । भोगों में  रोगों का भय रहता है, जिसके जीवन में वैराग्य उमड़ आता है उसे कोई भय नहीं रहता है । हमारा सौभाग्य है कि  आचार्य श्री विद्यासागर जी जैसे महान संत मिले हैं । ऊपर से बारिश हो रही थी और नीचे से भक्तों की वर्षा हो रही थी...  शरीर को मृत्यु का भय बना रहता है, बल में शत्रु का भय बना रहता है । अनेक भयों से ये जीवन ग्रसित है पर वैराग्य की शरण मे ही अभय बना रहता है । संसार मे जो भी हैं वो सार्थक हो जाये अगर वैराग्य हो जाये.. मुनि श्री अनन्त सागर जी कहा कि दीक्षा के एक दिन पूर्व रात्रि में ब्रम्हचारी भैया घास की तरह अपने बालों को उखाड़ रहे थे । ये केशलौंच शरीर से ममत्व को बताता है आज भी इस काल में  वैराग्य के पथ पर बढ़ रहे हैं यह महत्वपूर्ण है । आज विषयों की चकाचौंध है एक बार भोजन करना बड़ी बात है । आज शारीरिक शक्ति नहीं है कि साधु जंगल में रह सकें । आज भी निर्दोष चर्या का पालन करके चतुर्थ काल जैसी निर्जरा कर सकते हैं । वैराग्य के क्षण महत्वपूर्ण होते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जब दीक्षा देते हैं तो संख्या निश्चित नहीं रहती है, कम ज्यादा भी हो जाती है । मुनि श्री अचल सागर जी ने कहा कि मोक्ष मार्ग में मन को ठंडे बस्ते में रखा जाता है  । आचार्यश्री ने कहा था कि अरबों रुपये लेने के बाद भी कोई दीक्षा नहीं ले सकता है । दुनिया की जानकारी होने के बाद अपने आप को गुरु चरणों में समर्पित करना कठिन कार्य है । करोड़ों भवों का पुण्य संचय होता है तभी समीचीन गुरु मिलते हैं । संसार की यात्रा संसार की ओर होती है । जिसने संसार के स्वरूप को समझ लिया सब को समझ लिया । गुरुजी बात बात में अध्यात्म पिलाते थे । हमारा बैराग्य वर्तमान में कैसा है ? जिसने यह ध्यान रख लिया उसका दीक्षा दिवस सार्थक हो जाता है । आचार्य श्री ने कहा था कि हमेशा यह देखो कि हमारा वैराग्य कैसा है । आचार्य श्री का एक एक वाक्य सूत्र जैसा है । आज के दिन हमको गुरु मिले थे । आत्म कल्याण के लिए ही दीक्षा ली जाती है । मुनि श्री भावसागर जी ने कहा कि हमारी भावना है कि आज के दिन दीक्षित मुनिराज हमेशा रत्नत्रय का पालन करते रहें,उनका स्वास्थ्य हमेशा ठीक बना रहे । वह हमेशा जिन शासन की प्रभावना करते रहें । हमारी भावना है कि सभी ब्रह्मचारी भाइयो एवम ब्रह्मचारिणी बहनों की दीक्षा हो जाए । हमने गुरुजी से भावना रखी थी कि हमारे द्वारा जिन शासन की अप्रभावना ना हो।  हमने सोचा था कि हम जैसे युवा यदि इस मार्ग में नही आएंगे तो हमारा जिनशासन कैसे आगे तक चलेगा । दीक्षा दिवस पर ऐसी भावना है कि अंतिम श्वांस गुरु चरणों मे लें । कार्यक्रम में मंगलाचरण सामूहिक सांस्कृतिक समिति व महिला मंडल ने किया । पाठशाला के बच्चों ने दीक्षा महोत्सव पर दीक्षा के गीतों पर प्रस्तुति दी ।आचार्य श्री के चित्र का अनावरण मुनिराजों के गृहस्थ के परिवारजनों ने किया । दीप प्रज्वलन विशेष अतिथियों ने किया । पाद प्रक्षालन और शास्त्र अर्पण व आचार्य श्री की पूजन की गयी । दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति *मुनि दीक्षा की महिमा* की मेगा स्क्रीन पर प्रसारण किया गया जिसमें लोग मंत्रमुग्ध होकर एक टक होकर देखते रहे और कई बार लोगों ने कई दृश्यों पर जमकर ताली बजाकर दीक्षा की अनुमोदना की । 7 अगस्त को श्यामवर्णी श्री पार्श्वनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक बड़ी धूमधाम से करेली के इतिहास में प्रथम बार मनाया गया । प्रातःकाल श्री पारसनाथ भगवान का महामस्तकाभिषेक भव्य शांतिधारा हुई और महा पूजन भी हुई इसके बाद घर घर से द्रव्यों द्वारा तैयार किये गए खूबसूरत और मन को मोहने वाले कई निर्वाण लाडू अर्पण किये गये और यह कार्यक्रम प्रतिष्ठा सम्राट बाल ब्रह्मचारी विनय भैया जी बंडा एवं ब्रह्मचारी मनोज भैया जबलपुर के निर्देशन में संपन्न हुए । लिटिल मास्टर संगीतकार प्रथम जैन दमोह ने शानदार प्रस्तुति दी । मंदिर के लिए एक छोटी बालिका यशवी जैन ने गुल्लक के धन का दान किया । इस अवसर पर मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि पारसनाथ जी का मोक्ष कल्याणक बड़े उत्साह से मनाना चाहिए । जब महिमा ज्ञात होती है तो समझ में आ जाता है । भगवान के अभिषेक,शांतिधारा, पूजन उत्तम धातु के पात्रों से करना चाहिए । पुण्य को बढ़ाने वाला समझदार माना जाता है । स्वर्ण गिर जाए तो अशुभ होता है,भगवान के कार्यों में लग जाए तो पुण्य की वृद्धि करता है । अगले भव में स्वर्णो के महल मिलते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की कृपा से सब फल फूल रहे हैं । भगवान के लिए कोई दान देता है और व्यवस्थापक रख लेते हैं और वह कार्य नहीं करते हैं तो अंतराय कर्म का बंध होता है ।मूलनायक भगवान की शांति धारा अभिषेक स्वर्ण झारी से होना चाहिए । आज का दिन मोक्ष सप्तमी का दिन है इस दिन आप अच्छे संकल्प करने जा रहे हैं । आप बहुत बड़ा कार्य करने जा रहे हैं । भगवान पारसनाथ जिस प्रकार स्वर्णभद्र कूट से मोक्ष पधारे हैं ऐसे ही स्वर्ण के समान मंदिर बने । दान देने के बाद उत्साह होना चाहिए । प्रतिमा विराजमान करने वाले को धूमधाम से कार्यक्रम करना चाहिए ।

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Edited by Sanyog Jagati
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