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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

52 वें दीक्षा दिवस पर आचार्य श्री को शत शत नमन


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नमोस्तु आचार्य भगवंत

जब से आपको देखा है बस आपको ही देखने का मन करता है 

अभी विहार के समय लगातार 6दिन आपके दर्शन करने का सौभाग्य मिला और आपके संघस्थ मुनि श्री को आहारदान देने का 

सच कहूँ तो जब आपके चरण रज को माथे पर लगाने मिला तो ऐसा लग की मुझे सब कुछ मिल गया मन कर रहा था कि आपके चरणों मे ही बैठा रहू 

 

नमोस्तु आचार्य भगवंत 

वर्तमान के महावीर की जय हो 

नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु

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🙏जय जिनेंद्र🙏

गुरुवर के चरणों में शत शत नमन

नमोस्तु संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

आप दिगम्बर सरोवर के राजहंस हैं।

🙏 नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु 🙏

🇮🇳इंडिया नहीं भारत बोलो 🇮🇳

👌🇮🇳👍जय भारत👍🇮🇳👌

👌 🙏अहिंसा परमो जैन धर्म की जय🙏👌

Edited by Aarjav Jain
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अनेक महापुरूषों की जन्म,तपस्या,निर्वाण स्थली रहे धर्मप्रधान भारत देश में युग के महापुरूष,विश्व विख्यात,महान तपस्वी,महाकवि दि.जैनाचार्य श्री विघासागर जी महाराज उनकी जीवन चर्या सामान्य जन मानस के अंधेरे जीवन में उज्जवल प्रकाश की किरण है उनके गुरूजी ज्यानसागर जी ने आज के दिन ऐसा दिया जलाया जिसने सारी दुनिया रोशन कर दीआपने विशाल गुरूकुल का निर्माण,मूकमाटी जैसे महाकाव्य सहितअनेकों काव्य कृतियों का सृजन करके साहित्य परम्परा को आगे बढ़ाया,युवा शक्ति को सन्मार्ग पथ पर चलने हेतु ब्राह्मी विघा आश्रम,बच्चियों के लिये प्रतिभा स्थली,भाग्योदय,दयोदय,पूरी मैत्री,हथकरघा,भारत को भारत कहे इन्डिया नही,ऐसे बहुत सारे संस्थान खुलवाने वाले इकलौते संत है

संतत्व से सिद्धत्व तक के अविरामी यात्री, गतिशील साधक ,दिगम्वरत्वरूपी आकाश में विचरण करने वाले आप एक आध्यात्मिक सूर्य है! आपको क्या कहूं ------! आप तो साक्छात चलते फिरते तीर्थंकर सम भगवन्त है! अनेक बार दर्शनों के पश्चात भी जिनके दर्शन की प्यास लगी रहती है आप मुंगावली आये मेराभाग्य चमक गया आपके हाथ सदा मेरे सर पर रहे गुरूवर मैं भी अंतिम सांसों तक आपका नाम लेकर इस स्त्री पर्याय का छेदन करू मेरा भी संयम लेने का भाव पूर्ण हो !गुरूवर मुझे तुम अपना बना लो ,चरणोंमें थोड़ी सी मुझको जगह दो एहसान न भूलूंगी

 

                गुरू चरणों की दासानुदासी

         नमोस्तु,नमोस्तु,नमोस्तु 

 

अनेक महापुरूषों की जन्म,तपस्या,निर्वाण स्थली रहे धर्मप्रधान भारत देश में युग के महापुरूष,विश्व विख्यात,महान तपस्वी,महाकवि दि.जैनाचार्य श्री विघासागर जी महाराज उनकी जीवन चर्या सामान्य जन मानस के अंधेरे जीवन में उज्जवल प्रकाश की किरण है उनके गुरूजी ज्यानसागर जी ने आज के दिन ऐसा दिया जलाया जिसने सारी दुनिया रोशन कर दीआपने विशाल गुरूकुल का निर्माण,मूकमाटी जैसे महाकाव्य सहितअनेकों काव्य कृतियों का सृजन करके साहित्य परम्परा को आगे बढ़ाया,युवा शक्ति को सन्मार्ग पथ पर चलने हेतु ब्राह्मी विघा आश्रम,बच्चियों के लिये प्रतिभा स्थली,भाग्योदय,दयोदय,पूरी मैत्री,हथकरघा,भारत को भारत कहे इन्डिया नही,ऐसे बहुत सारे संस्थान खुलवाने वाले इकलौते संत है

संतत्व से सिद्धत्व तक के अविरामी यात्री, गतिशील साधक ,दिगम्वरत्वरूपी आकाश में विचरण करने वाले आप एक आध्यात्मिक सूर्य है! आपको क्या कहूं ------! आप तो साक्छात चलते फिरते तीर्थंकर सम भगवन्त है! अनेक बार दर्शनों के पश्चात भी जिनके दर्शन की प्यास लगी रहती है आप मुंगावली आये मेराभाग्य चमक गया आपके हाथ सदा मेरे सर पर रहे गुरूवर मैं भी अंतिम सांसों तक आपका नाम लेकर इस स्त्री पर्याय का छेदन करू मेरा भी संयम लेने का भाव पूर्ण हो !गुरूवर मुझे तुम अपना बना लो ,चरणोंमें थोड़ी सी मुझको जगह दो एहसान न भूलूंगी

 

                गुरू चरणों की दासानुदासी

         नमोस्तु,नमोस्तु,नमोस्तु 

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आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज 
के चरणो में मेरा कोटी कोटी नमन
नमोस्तु भगवन 
नमोस्तु गुरूदेव 
नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु
*जैनम् जयतु शासनम्*
*वंदे विघा सागरम्* 

 

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संयम पथ के अविरल राही को बारम्बार नमन

नमोस्तु आचार्य  श्री जी

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