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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

"कैसे बने इंडिया भारत ,भारत नाम बढ़ाना है , मानवता का परचम फहरे ,नैतिक देश बनाना है 


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हिंदी दिवस पर एक चिंतन 
"कैसे बने इंडिया भारत ,भारत नाम बढ़ाना है ,
मानवता का परचम फहरे ,नैतिक देश बनाना है 
नैतिक होगा जनगन इसका 
नैतिक होगा जन मंत्री ,
नैतिक होगा महाप्रशासक 
नैतिक जो बनवाए नीति 
सत्य अहिंसा धर्म हमारा ,जन जन तक पहुंचाना है ,
मानवता का परचम फहरे नैतिक देश बनाना है 
आचार्य विध्यासागर कहते इंडिया नाम हटाना है 
संस्कारों की शिक्षा वाला भारत देश बनाना है 
जहाँ चिकित्सक सेवा धर्मी ,
दौलत का नहीं मोह जिसे ,
जहाँ प्रशासक जनहितकारी 
दौलत का नहीं लोभ जिसे 
शिक्षक होगा सेवाभावी 
आदर्शों का निर्देशक ,
कामगार होगा कर्मठ तब 
अपने काम का पथ दर्शक 
सभी हो माहिर अपने कर्म में सबमें स्नेह जगाना है 
संस्कारों की शिक्षावाला भारत देश बनाना है ।
धर्म जहाँ हो एक सभी का 
सच्चाई महकाता हो ,
नैतिकता का बीज लगाता 
नैतिकता उपजाता हो 
दौलत का नहीं मान जहाँ पर 
आदर्शों का मान बढ़े ,
आदर्शों पर चलने वाले संतों का सम्मान बढ़े 
एेसी चाहत रखने वाले बोलो कितने लोग खड़े 
जो भी हो तैयार वे आओ इकजुट हो हम साथ बढ़ें 
हम सबको मिलकर ही तो अब जागा देश बनाना है 
मैकाले की शिक्षा वाला इंडिया नाम हटाना है 
आदर्शों की सांसों वाला भारत देश बनाना है ॥
अशोक मंथन "
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