Sanyog Jagati Posted May 7, 2019 Report Share Posted May 7, 2019 *दमोह 07-05-2019* *किये गए पाप दान के माध्यम से धुल जाते है - मुनिश्री* (अक्षय तृतीया पर दान की महिमा बताई गई) दमोह ( मध्यप्रदेश) में *सर्व श्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के* शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी महाराज श्री दिगंबर जैन नन्हे मंदिर दमोह में विराजमान है प्रातः अभिषेक शांतिधारा श्री आदिनाथ जी की पूजन हुई आचार्य श्री की पूजन करवाई गई।राजा श्रेयांश बनने का सौभाग्य श्रेयांश सराफ को मिला राजा सोम गांगरा को प्राप्त हुआ अंकुश जैन ने इक्षुरस वितरण कार्य में सहयोग किया लगभग 2000 लोगो को इक्षुरस वितरण किया गया। प्रवचन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री विमलसागर जी महाराज ने कहा कि श्री आदिनाथ भगवान तो 6 माह तक साधना में लीन हो गए थे।यह वीरों की चर्या है। इस पद के साथ अच्छे कार्य ही अच्छे लगते हैं। 6 माह बाद आहार चर्या को निकलते हैं लेकिन कोई उनकी आहार चर्या करवाने में समर्थ नहीं हुआ था। दान की विधि कोई नहीं जानता था। कोई उपदेश देने वाला भी नहीं था। आदिनाथ भगवान का लाभ अंतराय कर्म का उदय था श्रावको का दान अंतराय कर्म का उदय था। जिन्होंने पूर्व भव में आहार दान दिया था ऐसे राजा श्रेयांश और राजा सोम ने स्वप्न में देखा और प्रातः काल पड़गाहन किया। जो दान आदि नहीं करता है वह अपने जीवन को व्यर्थ गंवा देता है। गृहस्थ की रक्षा श्रमण से होती है और श्रमण की रक्षा गृहस्थ से होती है। एक दूसरे के पूरक बनो। *अपने ही धन का दान दिया जाता है* और अपनी ही वस्तु का दान दिया जाता है। जो दान की विधि नहीं जानता है वह पापो को कैसे काटेगा।24 घंटे जीवो की जो विराधना होती है और किए गए पाप दान के माध्यम से धूल जाते है। दान पूजा ऐसा साबुन - जल है जिससे पाप धुल जाते हैं। कंजूस हमेशा बहाना बनाता है दान के समय। जब दूसरे दान देते हैं तो कंजूस व्यक्ति जलता रहता है। कंजूस व्यक्ति जोड़-जोड़ कर धन रख जाता है और सोचता है कि साथ लेकर जाऊं लेकिन धन की चोरी हो जाती है।पूर्व के कंजूसी के संस्कार है तो आप धन को (पुण्य के रूप में) लेकर जाएं। दान देने से धन असंख्यात गुणा वृद्धि को प्राप्त होता है। आहार दान संसार के सर्वश्रेष्ठ सुख देता है। इक्षुरस का दान दिया था। जो दान के लिए पुरुषार्थ करता है वह तप करता है। किसी अतिथि के लिए वह द्रव्य लग जाए ऐसा भाव दाता का होता है।जिस दिन पड़गाहन हो जाता है वह दिन अक्षय हो जाता है इसी कारण *अक्षय तृतीया* प्रसिद्ध हो गई।कमेटी के लोगो ने बताया कि दमोह की सम्स्त पाठशाला के बच्चो की सामूहिक पूजन एवं महावीर जयंती पुरुस्कार वितरण 12 मई रविवार को प्रातः7 बजे नंन्हे जैन मंदिर में होंगे। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Recommended Posts