Sanyog Jagati Posted March 16, 2019 Report Share Posted March 16, 2019 ■◆◆◆■◆◆◆■◆◆◆■◆◆◆ *खितौला* *16-03-2019* *तप की महिमा अपरंपार है:- मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज खितौला सिहोरा जबलपुर ( मध्यप्रदेश) मे सर्व श्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी ससंघ के सानिध्य मे पंचकल्याणक के अंतर्गत तप कल्याणक की क्रियाएं सपन्न हुई। प्रातः काल श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर खितौला से मुनि श्री बारी बहू स्टेडियम पहुचे लोगो ने भक्ति नृत्य करके खुशीयाँ मनाकर आनंद लिया और आरती की गई और अभिषेक शांतिधारा पूजन की गई आचार्य श्री की पूजन हुई मुनि श्री भाव सागर जी के द्वारा पूजन करवाई गई। शहपुरा (भिटोनी),सिहोरा जैन समाज के द्वारा पूजन की द्रव्य लाई गई मुनि श्री विमल सागर महाराज ने आष्टनिकापर्व में 13-14 मार्च को 2 उपवास किये है पारणा के बाद 16 -17 मार्च को बेला यानी 2 उपवास धारण किए हैं ज्ञात हो कि छपारा में लगातार छह उपवास किए थे ।गौरझामर में चार उपवास लगातार किए थे ।और गौरझामर में एक उपवास एक आहार की साधना की थी। दिल्ली के कलाकारों द्वारा नाटिका की प्रस्तुति दी गई उदयपुर राजस्थान के बैंड की शानदार प्रस्तुति हुई। 17मार्च, 2019 रविवार को केवलज्ञान कल्याणक,18मार्च 2019 सोमवार को मोक्ष कल्याणक एवम गजरथ फेरी होगी एंव 19 मार्च 2019 सोमवार को श्री जी नवीन वेदी पर विराजमान होगें एंव कलशारोहण ध्वज दंड स्थापित होगा यह कार्यक्रम प्रतिष्ठाचार्य ब्रहमचारी विनय भैया बंडा के निर्देशन में हुआ। धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री अंनतसागर जी ने कहा कि तप कल्याणक का दिन है आज तप विभिन्न रूप से किए जाते हैं। रस त्याग आदि करके भी किए जाते हैं । भगवान ने कठिन साधना की तब जाकर वह महान बने तीर्थंकरों ने बहुत सारा वैभव त्यागकर मुनि पद धारण किया ।तप के द्वारा व्यक्ति ख्याति चाहता है हमारे कर्मों का क्षय हो इसलिए तप किए जाते हैं आचार्य श्री विद्यासागर महाराज गुरुदेव बड़े-बड़े तप एवं साधना करते हैं लेकिन किसी भी ख्याति आदि की इच्छा नहीं रखते हैं। आचार्य श्री जी ने कहा था मुक्तागिरी में कि हमारे जब तक आवश्यक पल रहे है निर्दोष चर्या हो रही थी तब तक 9 उपवास किए मुझे रिकॉर्ड नहीं बनाना है । लिखा रहता है , *नकल हमेशा होती है बराबरी कभी नहीं होती* गुरुदेव की मुक्तागिरी में 9 उपवास के बाद पारणा हुई ,आचार्य श्री कठिन तप करते रहते हैं धर्म-कर्म की बात आती है तो कहीं कमर में दर्द होता है तथा अन्य शारीरिक परेशानियां आ जाती है लौकिक कार्यों में सब दर्द ठीक हो जाते हैं।पूज्य मुनि श्री विमल सागर जी ने तप का महत्व बताते हुए कहा कि तप के साथ मरण करके जीव का 7 या 8 भव में उद्धार हो जाता है ।चारो गतियो के दुख सहे है सब कुछ अनुकूल नही मिलता यह संसारी प्राणी अकेला जन्मता है और अकेले मरता है कोई साथ नही जाता है यह अकेला कर्म करता है और अकेला ही भोगता है,जो धर्म करते है वो संसार से खाली नही जाते लबालब भरे जाते है।काया रोग की माया है दिन रात पोषण के बाद भी हमारा साथ नही देती ।कमेटी के लोगों ने जानकारी दी कि 4 वर्ष में यह मंदिर तैयार हुआ है मंदिर 3 मंजिल है अष्टधातु की मूलनायक पारसनाथ भगवान की प्रतिमा है जो जबलपुर जिले की प्रथम प्रतिमा है जैसलमेर 5 फ़ीट की चंद्रप्रभु भगवान की प्रतिमा है चार वेंदी बन चुकी है राजस्थान के कारीगरों द्वारा यह कार्य किया गया है प्रसिद्ध वास्तु विद, इंजीनियर के मार्गदर्शन में यह कार्य हुआ है शहपुरा भिटौनी से आये शुभाशुं जैन ने समाज की ओर से भावना व्यक्त की ।। पिच्छीका देने का सौभाग्य शचि इंद्राणी मरूदेवी एवं ब्रह्मचारिणी दीदी को मिला एवं कमंडल देने का सौभाग्य ब्रह्मचारी भाइयों सौधर्म इंद्र एवं नाभिराय को प्राप्त हुआ ।सौधर्म इंद्र ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण किया। ■◆◆◆■◆◆◆■◆◆◆■■◆◆◆ Link to comment Share on other sites More sharing options...
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