Sanyog Jagati Posted March 13, 2019 Report Share Posted March 13, 2019 *खितौला* 13-03-2019 *धर्म के बिना जीवन शून्य होता है*- मुनि श्री खितौला सिहोरा जबलपुर ( मध्यप्रदेश) मे सर्व श्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य *मुनि श्री विमल सागर जी मुनि श्री अनंत सागर जी मुनि धर्मसागर जी मुनि श्री अचल सागर जी मुनि श्री भाव सागर जी ससंघ* के सानिध्य मे पंचकल्याणक के अंतर्गत ध्वजारोहण हुआ। प्रातः काल श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर खतौला से मुनि श्री बारी बहू स्टेडियम पहुचे लोगो ने भक्ति नृत्य करके आनद लिया और आरती की गई और मंत्रो के द्वारा पात्रों की सकली करण के द्वारा की शुद्धि की गई । अभिषेक शांतिधारा पूजन आरती की गई। दिल्ली के कलाकारों द्वारा नाटिका की प्रस्तुति दी गई उदयपुर राजस्थान के बैंड की शानदार प्रस्तुति हुई। 14 मार्च गुरुवार को गर्भकल्याणक की क्रियाए संपन्न होंगी। यह कार्यक्रम प्रतिष्ठाचार्य ब्रहमचारी विनय भैया बंडा के निर्देशन में हुआ। * अजित कुमार जैन अभिषेक कुमार जैन (मंझोली वाले)सिहोरा ने विशेष सहयोग दिया। *ध्वजारोहण करने का सौभाग्य* निर्मलचंद,विमलचंद,दिनेश ,राजेश, सतेंद्र,नीरज,विकाश (विशु),विनीत, निक्की, मोंटी शास्त्र अर्पण करने का सौभाग्य *इंजीनियर अर्जित जैन* जबलपुर ने प्राप्त किया।मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि ध्वजारोहण के बिना मांगलिक कार्य अधूरे होते हैं। ध्वजा धर्म देवता का प्रतीक है। धर्म से सर्वश्रेष्ठ सुख की प्राप्ति होती है। धर्म के बिना जीवन शून्य होता है । जो नव देवता को नमस्कार करता है उसके अंदर धर्म का प्रवेश होता है। जल गालन की प्रक्रिया पंचम काल के अंत तक चलेगी। दान और पूजा श्रावक के प्रमुख कर्तव्य है। पंचकल्याणक में ऐसा पुण्य संचय कर लेना कि हमारा कल्याण हो जाए। धर्म की ध्वजा की रक्षा करने में ही राजा का मरण होता है। धर्म की रक्षा के लिए शरीर का भी त्याग करना पड़े तो भी कोई परेशानी नहीं। दोपहर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री अनंत सागर जी ने कहां कि अनुष्ठान के द्वारा सिर्फ मनोरंजन नहीं करना है किंतु हमें आत्म कल्याण करना है। जो कार्य महापुरुषों ने किए हैं वही हम करेंगे तो भगवान जैसे बनेंगे। आचार्य श्री ने कहा था कि उन महापुरुषों का चरित्र पढ़ो जिन्होंने मुड़कर नहीं देखा । गर्भ कल्याणक का प्रसंग है आज ।आधुनिक यंत्र बहुत खतरनाक साबित हो रहे हैं। गर्भ में आने वाली संतान को गर्भपात के माध्यम से मार देते हैं लोग। हो सकता वही संतान कोई विशेष व्यक्तित्व बने। कर्म लोन की तरह है।जो चुकाना ही पड़ेगा । *एक मिनट का मजा और जिंदगी भर की सजा* कर्म किसी को भी नहीं छोड़ते हैं विद्याधर को भी मल्लप्पा जी और श्रीमंती है कैसे संस्कार दिए कि पूरा परिवार ही संयममय हो गया और इस पूरे विश्व को अनोखे आचार्य श्री विद्यासागर जी जैसे संत मिले। ऐसी संतान हो जो माता पिता का नाम रोशन करे। संस्कार का योगदान महत्वपूर्ण होता है। जीवन को आनंदमय बनाएं। कार्यक्रम में नगर के आसपास के विशेष व्यक्तित्व आ रहे हैं । पनागर जैन समाज के द्वारा पूजन की द्रव्य अर्पण की गई ..................................................................... Link to comment Share on other sites More sharing options...
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