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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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असहमति और नाराज़गी में फ़र्क़ दर्शाने वाला आचार्य श्री का यह हाइकु-काव्य तीनों पंक्तियों में तीन अलग-अलग भावों से युक्त है। क्या आपको भी पहले असम्मति, फिर द्वेष और अन्त में सह-अस्तित्व, ये तीन भाव मिलते हैं?

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