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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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दीक्षित मुनिराज

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 मुनि श्री 108 अजितसागर जी महाराज का जीवन परिचय

 

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  1. What's new in this club
  2. 🏳️‍🌈🏳️‍🌈 *ब्रेकिंग सूचना---* *मुनि संघ मंगल आगवानी* 🏳️‍🌈🏳️‍🌈🏳️‍🌈 *साधर्मी बन्धुओ* *अत्यंत हर्ष का* *विषय है कि हम सभी के परम पुण्योदय से*🏳️‍🌈🏳️‍🌈🏳️‍🌈🏳️‍🌈🏳️‍🌈🏳️‍🌈🏳️‍🌈 *पूज्य मुनि श्री १०८ अजित सागर जी महाराज ससंघ का आज दिनांक ११/६/२०२० गुरुवार दोपहर ४ बजे कोठरी से मंगल विहार कर सायंकाल ५:३० बजे तक आष्टा नगर मंगल प्रवेश हो रहा है मुनि संघ-भोपाल नाका,अस्पताल चौराहा, बुधवारा ,प्रगति गली, से बड़ा बाजार होते हुए किला मन्दिर पहुचेंगे* 🔹🔹🔹🔹🔹 *निवेदन--मंगल प्रवेश बिना किसी शोर शराबा बैंड बाजा के होना है* 🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴 *अपने अपने द्वार पर खड़े होकर थाली, घण्टी ,आदि बजाकर जयकार लगा कर अनुमोदना कर धर्म लाभ ले*🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *निवेदक- दिगम्बर जैन पंचायत समिति आष्टा* *दिगम्बर जैन मुनि सेवा समिति आष्टा*
  3. अतिशय क्षेत्र जामनेर जी के दर्शन करते हुऐ मुनि श्री जामनेर आष्टा से शुजालपुर रोड़ पर स्थित है आष्टा से दूरी लगभग 40 कि मी
  4. परम पूज्य आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज जी के शिष्य मुनिश्री अजितसागरजी के दीक्षा दिवस के अवसर पर मुनिश्री के चरणों में शत् शत् नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु  ??????????   एवं आप सभी को इस पावन दिन कि बधाईयाँ और शुभकामनाएं  ?????
  5. पंचकल्याणक महोत्सव की तैयारियां लगभग पूर्ण 23 से 29 नवम्बर होंगे कई भव्य आयोजन 25 को उपनयन संस्कार होगा अनूठा कार्यक्रम शिवपुरी में जन्मकल्याणक का जुलूस तो कोलारस में आदिकुमार की बारात निकलेगी लालकिला की तर्ज़ पर बनाया गया है विशाल पांडाल का गेट शिवपुरी सेसई के इतिहास में पहली बार श्री शांतिनाथ (नौगजा) दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र सेसई में श्री 1008 मज्जिनेंद्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवम गजरथ महोत्सव का आयोजन आगामी 23 नबम्बर से होने जा रहा है। जिसमें सेसई अतिशय क्षेत्र पर नवीन चौबीसी एवं, मानस्तंभ निर्माण पूर्ण होने के बाद जिन प्रतिमाओं पर सूर्य मंत्र दिया जायेगा जिससे यह प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित होकर पूज्यनिय हो जायेंगी। आयोजन को लेकर तैयारियों जोरों पर है। जिसके लिए सेसई में ए.बी. रोड पर एक विशाल मैदान को भव्य रूप दिया जा रहा है। 30 नवम्बर तक चलने वाले इस आयोजन में आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के प्रिय शिष्य प्रशममूर्ति 108 श्री अजितसागर जी महाराज संसघ का मंगल सानिध्य मिलेगा। पंचकल्याण महोत्सव के अध्यक्ष जीतेन्द्र जैन ने जानकारी देते हुये बताया कि महोत्सव में दस हजार समाज बंधुओं के आगमन के मद्देनजर 85 बाई 225 फुट का विशाल डोम बनाया जा रहा है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकसाथ कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। एवं जैन परंपरानुसार शौध की भोजन शाला तथा सामूहिक भोजन शाला का अस्थायी निर्माण कराया जा रहा है। इसके अलावा व्रती श्रावकों के लिए भी अलग से भोजन की व्यवस्था की गई है। इसके लिए 95 गुणा 155 वर्गफीट में भोजनशाला बनाई जा रही है। वहीं महामहोत्सव में शामिल प्रमुख पात्रों व इंद्र-इंद्राणियों के लिए अलग से 35 गुणा 135 वर्गफीट में भोजनशाला बनाई जा रही है। यहां आने वाले समाज बंधुओं के ठहरने हेतु 50 आधुनिक कमरों का भी निर्माण किया जा रहा है। महोत्सव के कार्यकारी अध्यक्ष राजकुमार जैन जड़ीबूटी एवं चौधरी अजीत जैन ने बताया कि प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्र. अभय भैया 'आदित्य' इन्दौर के निर्देशन में विधिविधान से कार्यक्रम होंगे। जिसमें 23 नवंबर को विशाल घटयात्रा जुलूस गजरथ (ऐरावत हाथी) बग्घी घोड़े बाजे-गाजे के साथ निकाली जाएगी। 24 नवम्बर को गर्भ कल्याण की पूर्व क्रियाऐं व 25 नवम्बर को गर्भ कल्याणक मनाया जायेगा। 26 नवम्बर रविवार को जन्म कल्याणक के दिन शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसके बाद नवनिर्मित पांडुक शिला पर 1008 कलशों से भगवान का अभिषेक होगा। इसके लिये गौशाला में पांडुकषिला का निर्माण किया गया है। 27 नवम्बर को भगवान के तप कल्याणक के दिन आदिकुमार की बारात कोलारस नगर में निकाली जायेगी। 28 नवम्बर को ज्ञानकल्याणक के दिन भगवान का समोषरण लगेगा तथा 29 नवम्बर को मोक्ष कल्याणक मनाया जायेगा। सप्ताह भर के इन कार्यक्रम में अनेक राज्यों से जैन समाज के श्रद्धालु पहुंचेंगे। जिनवाणी चैनल पर होगा सीधा प्रसारण आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि आगामी 23 नवम्बर से जहां 30 नवम्बर तक पंचकल्याणक महोत्सव होगा। जिसमें 23 नवम्बर को उज्जैन की पार्टी द्वारा जम्मू स्वामी का वैराग्य नाटक का मंचन किया जायेगा। वहीं 27 नवम्बर को सूरत एवं 28 नवम्बर को जबलपुर की पार्टी द्वारा रात्रि में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जायेगा। 30 नवम्बर को नवीन प्रतिमाऐं वेदियों में विराजमान की जायेंगी तथा शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा का बज्रलेप के बाद प्रथम महामष्तकाभिषेक होगा। पंचकल्याणक के कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण टीवी जिनवाणी चैनल पर किया जाएगा।
  6. #गुरु_आज्ञा_और_संकोच* ⛳ _*भूमिका- गुरु अपने शिष्यों को कब कौन सी शिक्षा दें दें यह कोई जान नहीं सकता है। आचार्य श्री जी किस समय सभी साधकों को नई दिशा दे दें, कौन-सा रहस्य बता दे, इसका पता नहीं। इसलिए गुरु की संगति हरक्षण हमें एक नई दिशाबोध पाने की ओर लालायित रखती है। वह कैसे?*_ ☄ _*प्रसंग- बीना बारहा से सागर की ओर बिहार चल रहा था। 15 अप्रैल 1998 बुधवार।* देवरी से बिहार हुआ और गोपालपुरा ग्राम के विश्राम गृह में विश्राम हुआ।_ _प्रतिक्रमण आदि करके सामायिक के पूर्व आचार्य श्री की वैयावृत्ति हेतु मैंने और दो ब्रहमचारी जी ने आचार्य श्री से निवेदन किया। आचार्य श्री ने मौन स्वीकृति दे दी, हम लोगों ने वैयावृत्ति प्रारंभ कर दी।_ _थोड़ी देर बाद धीरे से बोले- *"अब तो 'ये' बहुत वैयावृत्ति कराने लगा है।"*_ _मैंने आश्चर्य की दृष्टि से आचार्य श्री को देखा और सहज् पूछ बैठा- *"कौन कराने लगा?"*_ _आचार्य श्री बोले- *"अरे! कौन कराएगा। यह 'शरीर' कराने लगा है और बहुत सेवा कराने की भावना रखता है। अरे! महाराजजी (आचार्य श्री ज्ञानसागर जी) वृद्ध थे, 80 वर्ष की आयु, परंतु इतनी सेवा नहीं कराते थे।"*_ _तभी मैंने कहा- *"आप तो थे, आप वैयावृत्ति तो करते होंगे।"*_ _आचार्य श्री बोले- *"करता तो था, लेकिन वह अधिक कराते कहाँ थे! वह अपना समय ध्यान-अध्ययन में लगाते, थोड़ी बहुत करा लेते थे, और धीरे से कह देते थे कि जाओ, स्वाध्याय अध्ययन करो। बहुत से लोग आते हैं।"*_ *"आप इतने मान जाते थे?"* मैंने कहा। _*"अरे भैया! डर भी तो लगता था। एक बार मना कर दिया तो फिर दूसरी बार आग्रह करने की हिम्मत नहीं होती थी। तुम लोगों जैसी जबरदस्ती तो हम कर नहीं सकते थे। महाराज ने एक बार मना कर दिया तो फिर आग्रह नहीं कर सकता था। तो हमारी वैयावृत्ति आदि सब छूट गई"*_ _इतना कहकर के आचार्य श्री उठ गए। सामायिक करने के लिए आवर्त करने लगे।_ *ज्ञान सिंधु की याद कर, विद्या गुरु भये लीन।* *हर-पल हर-क्षण ध्यान कर, होते आतम लीन।।* ? *सद्गुरु के प्रसंग बने जीवन की अंग* ✍?मुनि श्री अजितसागर जी महाराज प्रस्तुति- दिलीप जैन शिवपुरी- 9425488836
  7. *सद्गुरु के प्रसंग-बने जीवन के अंग*? 2⃣4⃣ *गुरु: आज्ञा और संकोच* ⛳ _*भूमिका- गुरु अपने शिष्यों को कब कौन सी शिक्षा दें दें यह कोई जान नहीं सकता है। आचार्य श्री जी किस समय सभी साधकों को नई दिशा दे दें, कौन-सा रहस्य बता दे, इसका पता नहीं। इसलिए गुरु की संगति हरक्षण हमें एक नई दिशाबोध पाने की ओर लालायित रखती है। वह कैसे?*_ ☄ _*प्रसंग- बीना बारहा से सागर की ओर बिहार चल रहा था। 15 अप्रैल 1998 बुधवार।* देवरी से बिहार हुआ और गोपालपुरा ग्राम के विश्राम गृह में विश्राम हुआ।_ _प्रतिक्रमण आदि करके सामायिक के पूर्व आचार्य श्री की वैयावृत्ति हेतु मैंने और दो ब्रहमचारी जी ने आचार्य श्री से निवेदन किया। आचार्य श्री ने मौन स्वीकृति दे दी, हम लोगों ने वैयावृत्ति प्रारंभ कर दी।_ _थोड़ी देर बाद धीरे से बोले- *"अब तो 'ये' बहुत वैयावृत्ति कराने लगा है।"*_ _मैंने आश्चर्य की दृष्टि से आचार्य श्री को देखा और सहज् पूछ बैठा- *"कौन कराने लगा?"*_ _आचार्य श्री बोले- *"अरे! कौन कराएगा। यह 'शरीर' कराने लगा है और बहुत सेवा कराने की भावना रखता है। अरे! महाराजजी (आचार्य श्री ज्ञानसागर जी) वृद्ध थे, 80 वर्ष की आयु, परंतु इतनी सेवा नहीं कराते थे।"*_ _तभी मैंने कहा- *"आप तो थे, आप वैयावृत्ति तो करते होंगे।"*_ _आचार्य श्री बोले- *"करता तो था, लेकिन वह अधिक कराते कहाँ थे! वह अपना समय ध्यान-अध्ययन में लगाते, थोड़ी बहुत करा लेते थे, और धीरे से कह देते थे कि जाओ, स्वाध्याय अध्ययन करो। बहुत से लोग आते हैं।"*_ *"आप इतने मान जाते थे?"* मैंने कहा। _*"अरे भैया! डर भी तो लगता था। एक बार मना कर दिया तो फिर दूसरी बार आग्रह करने की हिम्मत नहीं होती थी। तुम लोगों जैसी जबरदस्ती तो हम कर नहीं सकते थे। महाराज ने एक बार मना कर दिया तो फिर आग्रह नहीं कर सकता था। तो हमारी वैयावृत्ति आदि सब छूट गई"*_ _इतना कहकर के आचार्य श्री उठ गए। सामायिक करने के लिए आवर्त करने लगे।_ *ज्ञान सिंधु की याद कर, विद्या गुरु भये लीन।* *हर-पल हर-क्षण ध्यान कर, होते आतम लीन।।* ? *सद्गुरु के प्रसंग बने जीवन की अंग* मुनि श्री अजितसागर जी महाराज द्वारा संकलित और लिखित इस कृति के अंदर पुज्य आचार्य भगवन 108 श्री विद्यासागर जी महाराज के जीवन के कुछ ऐसे प्रसंगों का वर्णन किया है, जिनको पढ़कर एक तरफ जहां गुरुवर की सरलता, वात्सल्यता का परिचय होता है, वहीं दूसरी ओर गुरुवर की कठोर साधना और तपश्चर्या का परिचय भी मिलता है। इस अनुपम कृति के प्रत्येक अध्याय को हम अपनी इस पोस्ट के माध्यम से सिलसिलेवार आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। ? *पूज्य मुनिश्री अजितसागर जी महाराज का मंगल चातुर्मास शिवपुरी (म. प्र.)में स्थानीय महावीर जिनालय, महल कॉलोनी शिवपुरी मे चल रहा है।* प्रस्तुति- दिलीप जैन शिवपुरी- 9425488836
  8. शिवपुरी चातुर्मास 2017 मुनिश्री अजितसागर जी महाराज
  9. ?? *भव्य हिन्दी दिवस समारोह 14 सितम्बर *? परम पूज्य दिगंबर जैन आचार्य संत शिरोमणि श्री विद्यासागर जी महाराज के लिए 50वें संयम स्वर्णिम वर्ष 2017-18 के अवसर पर, ? *भव्य हिन्दी दिवस समारोह 14 सितम्बर को मानस भवन शिवपुरी मे पूज्य गुरुदेव अजित सागर जी महाराज के पावन सानिध्य मे मनाया जाएगा ?? ??????????हिन्दी भाषा को पूरे भारत मे बोली जाये ऐसे संकल्प के साथ यह आयोजन होगा ???????????????? ⛳ विषय- "धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से शाकाहार ही मानवीय आहार" मंगल सान्निध्य- पूज्य मुनि श्री अजितसागर जी महाराज, ऐलक श्री दयासागर जी महाराज एवं ऐलक श्री विवेकानंदसागर जी महाराज ? विशेष-शिवपुरी के हर घर मे शाकाहार की चरचा हो रही है 1350 छात्र छात्राओं ने निबंद प्रतियोगिता मे भाग लिया उन सभी को 14 सितम्बर को पुरुस्कृत किया जायेगा शाकाहार को अपने जीवन मै अपनाये और स्वस्थ्य रहे। विजयी प्रतियोगियों की घोषणा दिनांक 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर एक वृहद छात्र सम्मेलन कार्यक्रम में की जाएगी। India नही भारत बोलो। सम्मेलन स्थल- मानस भवन शिवपुरी ? सम्मेलन में सभी निबंध लेखन मे भाग लने वाले छात्र,छात्राओ को सम्मानित किया जायेगा। साथ ही प्रत्येक ग्रुप 9th, 10th, 11th, 12th, से प्रथम, द्वतीय, तृतीय के साथ 10 सांत्वना पुरस्कार भी दिए जाएंगे। ? सभी 1350 छात्र-छात्राये निबंध लेखन मे भाग लेकर शाकाहार मे सहभागी बने। धन्यवाद आयोजक- सकल दिगम्बर जैन समाज शिवपुरी एवं चातुर्मास कमेटी शिवपुरी। ? *नोट- *14 सितम्बर को दोपहर 2 बजे से कार्यक्रम शुरु हो जायेगा सभी छात्र एवम छात्रायें ठीक 2 बजे मानस भवन शिवपुरी अवश्य पधारे ??????? रत्नेश जैन "डिम्पल" 9425429785 माणिक जैन- 9977313309 राजेश जैन-9425137669 ????????
  10.  

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