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पाक्षिक पत्रिका
प्राच्य संस्कृति की भाँद्वित वर्तमान युग का ब्यौरा भी स्वर्णिम अक्षरों में लिखने का विचार बना है। कोशिश यह होगी कि यह ऐसा दस्तावेज बने जो भावी पीढी़ को भारतीय संस्कृति के इतिहास में स्वर्ण युग की ख्याति से साक्षात्कार करवाए। इस युग का नाम होगा संतशिरोमणि विद्यासागर स्वर्ण युग। यदि आप इस स्वर्णिम भावधारा के प्रत्यक्षदर्शी होना चाहते है तो इसका पारायण अवश्य करे।
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