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शांतिधारा दुग्ध योजना / शांतिधारा गिर गौशाला का परिचय:
शांतिधारा दुग्ध योजना / शांतिधारा गिर गौशाला जैन आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा से संचालित अतिशय क्षेत्रबीना जी बारह, ज़िला सागर (म. प्र.) में स्थित एक गिर गाय की गौशाला है।
वर्तमान में शांतिधारा में लगभग ४३० गिर गौवंश है जिसमें लगभग २०० गिर गाय, २३० बछड़े, बछड़ियां और अन्य नंदी हैं। इनके पालन के लिए शांतिधारा की लगभग १२० एकड़ भूमि है। शांतिधारा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं -
उद्देश्य (Objectives):
- देसी नस्ल की गायों के पालन को प्रोत्साहन देना।
- गौ आधारित खेती और जीवन को प्रोत्साहन देना। एक प्रयोग के आधार पर किसानों को गौ आधारित खेती का प्रशिक्षण देना। इस पद्धति में जीवामृत, जैविक खाद, जैविक कीटरोधक, आदि के बारे में जानकारियाँ देकर उन्हें यह सब उपलब्ध कराना। ग्रामीणों को गौ-आधारित जीवन की प्रेरणा देकर उन्हें स्वावलंबी बनाना
- जन सामान्य एवं त्यागी व्रतीयों को रसायन मुक्त एवं शुद्ध भोज्य पदार्थ जैसे दूध, दही, घी, अनाज, सब्ज़ियाँ एवं दालें उपलब्ध कराना।
- पंचगव्य पर आधारित औषधियों एवं प्रसाधन वस्तुओं का निर्माण कर उसका प्रशिक्षण देना
- प्राकृतिक संसाधनों जैसे सौर एवं पवन ऊर्जा का उपयोग करके गौ-शालाओं को ऊर्जा के दृष्टिकौण से एवं आर्थिक रूप से स्वाश्रित बनाने के लिए उदाहरण तैयार करना
कार्यशैली (Working Model😞
- गाय का दूध निकालने के लिए कोई इंजेक्शन आदि का प्रयोग नहीं किया जाता।
- शांतिधारा के खेतों पर जैविक पद्धति से उत्पन्न हरे चारे को गायों को खिलाया जाता है।
- गाय के दूध पर पहला अधिकार बछड़े एवं बछड़ियों है अतः उन्हें पर्याप्त दूध पिलाकर दोहन किया जाता है।
- सभी प्रकार एवं उम्र के गौवंश के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाता है।
- गायों का दोहन पारम्परिक पद्धति से हाथ से किया जाता है।
- घी का उत्पादन प्राचीन पद्धति के अनुसार मटकों में दही जमाकर, , उसका बिलौना करके नवनीत के माध्यम से निकाला जाता है।
- हमारा गौवंश के साथ भावनात्मक जुड़ाव है उन्हें पूरे प्रेम और वात्सल्य के साथ रखा जाता है। उनके घूमने / / चरने की उचित व्यवस्था है।
- गौवंश को अनुपयोगी होने पर किसी गौशाला अथवा कसाईघर नहीं भेजा जाता। उनका पालन पोषण भी सामान्य रूप से किया जाता है। अतः जिस गाय का दूध अथवा घी आप उपयोग कर रहे हैं वह अपनी प्राकृतिक मृत्यु को ही प्राप्त होगी।
देसी गिर गाय के घी के लाभ (Benefits of Gir Cow Ghee😞
- देसी गिर गाय का घी ओमेगा ३ एवं ओमेगा ९ का स्त्रोत है और इसमें विटामिन A, D, E, K आदि पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं अतः यह घी हृदय रोग (बी. पी., कोलेस्ट्रल आदि) में अत्यंत लाभकारी होता है।
- इस घी में मौजूद विटामिन ए, विटामिन डी, मिनरल्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, और अन्य पोषक तत्त्व शरीर और दिमाग को मजबूत बनाते हैं| इन पोषक तत्वों के प्रभाव से हमारे ऊपर उम्र का असर कम होता है, इसलिए ज्यादा समय तक जवानी बरकरार रखी जा सकती है
- इस घी में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स हमारी त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इन एंटी ऑक्सीडेंट्स से हमारी त्वचा को पोषण मिलता है और वह नर्म और चमकदार बन जाती है। इससे आप चेहरे पर मालिश भी कर सकती हैं। ऐसा करने से चेहरे पर चमक तो आएगी ही, झुर्रियां भी कम होंगी
- देसी गिर गाय का घी जोड़ों, हड्डियों के, अनिद्रा, नेत्र रोग, मोटापे, सम्बंधी रोगों के लिए अत्यंत लाभकारी औषधी है।
- देसी गिर गाय का बिलौना पद्धति से निकाला हुआ घी ३७°C पर पिघल जाता है जबकि अन्य प्रकार के घी का गलनांक (पिघलने का तापमान) ३९°C या उससे अधिक होता है जिससे हृदय रोग, बी.पी., मधुमेह आदि रोग उत्पन्न ही नहीं होते।
- इस घी का सेवन गर्भवती महिलाओं के सामान्य प्रसव (delivery) में सहायक होता है और उसके बच्चे का विकास सही तरीके से करने में सहायक होता है। बच्चा शरीर से हृष्ट-पुष्ट और मानसिक रूप से भी मजबूत बनता है।
- देसी गिर गाय का बिलौना पद्धति से निकाले हुए घी में ओमेगा ३ का अनुपात अन्य पद्धतियों की अपेक्षा अधिक होता है।
सम्पर्क सूत्र:
शांतिधारा गिर गौशाला
बीना बारह, तहसील देवरी, ज़िला सागर 470226
+919340866093; +918770637723 shreeshantidharadugdhyojana@gmail.com
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