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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव का समापन समारोह

Event details

 

 

*संयम स्वर्ण महोत्सव समापन समारोह आमंत्रण*
आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की दीक्षा के 50 वर्ष  पूर्ण होने पर मनाए जाने वाले, संयम स्वर्ण महोत्सव के समापन अवसर पर आयोजित, *नेपथ्य के नायकों का सम्मान सत्र 17 जुलाई 2018 को  खजुराहो मध्य प्रदेश  में प्रस्तावित है* , यह सम्मान देश के उन नायकों को दिया जा रहा है जो सामाजिक ,सांस्कृतिक एवं आर्थिक क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं, भारी मात्रा में शामिल होकर कार्यक्रम की गरिमा को दुगुना करें

 

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संयम स्वर्ण महोत्सव का समापन समारोह
आषाढ़ शुक्ल पंचमी, मंगलवार, 17 जुलाई 2018

 

इस पावन दिवस पर हम सबके आराध्य परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विद्यासागर जी महाराज की मुनि दीक्षा के ५०वर्ष पूर्ण होने पर होगा संयम स्वर्ण महोत्सव का समापन और होगा ५१वें दीक्षा दिवस का आराधन. 

आइये हम सभी मिलकर गुरुदेव की चरणरज को स्पर्श करने चलते हैं. 

“होंगे विराजमान वे जहाँ, हम सब पहुंचेंगे वहाँ |”

कार्यक्रम स्थल : खजुराहो           

नोट: कार्य क्रम की सूचना आपकी अपनी लोकप्रिय वेबसाइट विद्यासागर.गुरु मिलेगी, कृपया नियमित रूप से देखते रहें |


Recommended Comments

""गुरु मेरे ऋषिवर है गुरु भगवान

 सदा रहें जयवंत मेरे गुरु महान""

नमोस्तु , संजय मोदी बाकल

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आचार्य भगवंत प्रातः स्मरणीय संत शिरोमणि गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के चरणो में शत शत वंदन शत शत वंदन मेरा एवं परिवार का  वंदन नमन

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17 july location de khujraho  ki.

On 7/11/2018 at 3:38 AM, usha patni said:

आचार्य भगवंत प्रातः स्मरणीय संत शिरोमणि गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के चरणो में शत शत वंदन शत शत वंदन मेरा एवं परिवार का  वंदन नमन

 

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ऐसा अवसर बार-बार नहीं आता सब लोग गुरुदेव के चरणों में अवश्य पहुंचे

नमोस्तु गुरुवर । नमोस्तु ! नमोस्तु!! नमोस्तु !!!

गुरु भक्त परिवार वर्धमानपुर

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भारत का हृदय है, मध्य प्रदेश,खजुराहो ही है दिल इसका।

अध्यात्म के शिखर देव, हर दिल में इनका बिंब बना।

दिल से करुणा की धार सदा,निर्बल,निर्धन को बहती है।

लाखों दिल को तृप्ति देती, वाणी जो पवन खिरती है।

है शिखर देव,हे हॄदय देव, भारत के ह्रदय विराजे हैं।

अर्ध शदी हुई आज पूर्ण, सबके मन आप विराजे हैं।

पल पल क्षण क्षण दो आलम्बन, तेरे पथ पर बढ़ते जाएं।

न कभी अलग हो आशीष से, संग तेरे भवदधि तर जाएं

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