Jump to content
सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

मत_फूलों_पाने_पर ...आचार्यश्रीविद्यासागरजीमुनिराज प्रवचन


संयम स्वर्ण महोत्सव

497 views

आँगन में दादाजी बैठे है, उनकी गोदी में नाती बैठा है, दोनों प्रातःकाल की सुनहरी धूप का आनन्द ले रहे है। इसी बीच भीतर से आवाज आती है, ले जाओ..., ले जाओ....., नाती उछल कर भीतर जाता है, भीतर में उसे कहा जाता है यह लडडू तुम्हारे लिए और यह लडडू दादाजी के लिए है। अब वह नाती नाचता हुआ लडडू खा रहा है, दादाजी देखते हुए सोचते है यह होनहार है, अभी इसे अनुभव नही है। फिर इसके उपरांत जो दादाजी को लडडू मिला था, उसमें से भी आधा लडडू नाती को दे देते है इस बार तो कहना ही क्या, नाती और अधिक नाचने लगता है।


अब तत्व दृष्टि से घटाए बालक अवस्था में अज्ञान दशा रहती है, वह किसमे सुख है, किसमे दु:ख है, इसका ज्ञान नही कर पाता। वृद्धावस्था में उसे ज्ञान होता है, वह जानता है कि, किन किन पदार्थों का मैंने अनुभव कर लिया, अब उछलने, कूदने की तो बात ही नही है। इसी तरह ज्ञान दशा होने पर, मांगने की बात नही वस्तु स्वरूप होने पर, वह छोटी झोली को, बड़ी झोली बनाने की बात नही करेगा।


अभी पूजन में बार बार एक ही लाइन को दोहराया जा रहा था। "मेरी झोली छोटी पड़ गई रे..... इतना दिया गुरुवर ने......" मैं तो अब भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि इनकी झोली ही समाप्त हो जाए क्योंकि जो भी झोली में लेगा, दूसरा उससे बड़ी झोली की बात करेगा, इस लिये बिन मांगे सब काम हो जाए। पपौराजी 7 जून गुरुवार के प्रातःकालीन प्रवचन |

0 Comments


Recommended Comments

There are no comments to display.

Create an account or sign in to comment

You need to be a member in order to leave a comment

Create an account

Sign up for a new account in our community. It's easy!

Register a new account

Sign in

Already have an account? Sign in here.

Sign In Now
  • बने सदस्य वेबसाइट के

    इस वेबसाइट के निशुल्क सदस्य आप गूगल, फेसबुक से लॉग इन कर बन सकते हैं 

    आचार्य श्री विद्यासागर मोबाइल एप्प डाउनलोड करें |

    डाउनलोड करने ले लिए यह लिंक खोले https://vidyasagar.guru/app/ 

     

     

×
×
  • Create New...