रात्रि में भोजन करने से हानि
रात्रि में भोजन करने से हानि
अकबर बादशाह कौम से मुसलमान थे किन्तु हिन्दुओं के साथ भी उनका अच्छा संपर्क था। उनका प्रधानमंत्री बीरबल भी ब्राह्मण था। उनके पास और भी भले-भले हिन्दू रहते थे। एक दिन, दिन में खाने वाले किसी विचारशील हिन्दू आदमी ने उनसे कहा कि हुजूर! आप रात्रि में खाना खाते हैं यह ठीक नहीं कर रहे हैं। बादशाह बोले क्यों क्या हानि है? जवाब मिला कि हानि तो बहुत है। सबसे पहली हानि तो यही है कि रात्रि में अंधकार की वजह से भोजन में क्या है और क्या नहीं है यही ठीक नहीं पता चला करता है। तब बादशाह बोले कि दीपक के उजाले में अच्छी तरह से देखकर खाया जाये तो फिर क्या बात रह जाती है? जवाब मिला कि बात तो और भी है परन्तु अभी आप इतना ही करें कि दीपक के प्रकाश में अच्छी तरह से देखकर ही खाया करें।
अब बादशाह रोज ऐसा ही करने लगे। एक रोज सजा हुआ थाल बादशाह के आगे टेबिल पर लाकर रखा गया तो बादशाह बोले कि दीपक लाओ तब देखकर खाया जायेगा। दीपक आया और देखा गया तो भोजन में घी और मीठे की वजह से जहरीली कीड़ियों का नाल लगा हुआ है। बादशाह को विचार आ गया तो नियम किया कि आगे के लिए रात्रि को न खाकर दिन में ही खाया जाये यही बात अच्छी है। | हाँ! यह कहा जा सकता है कि वह समय कुछ और था। आज तो स्थान-स्थान पर बिजली की रोशनी होती है जिसमें अच्छी तरह देखकर खा लिया जा सकता है, परन्तु ऐसा कहने वालों को इतना भी तो सोचना चाहिये। कि बिजली के प्रकाश में भी पंतगे, मच्छर वगैरह आकर भोजन में पड़ेंगे। जिनमें कितने ही मच्छर ऐसे भी होते हैं जिनके कि खाने में आ जाने से अनेक प्रकार के भयंकर रोग हो जाते है।
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