शाकाहारी बनना चाहिये
शाकाहारी बनना चाहिये
जिससे शरीर पुष्टि को प्राप्त हो या भूख मिटे उसे आहार कहते हैं। वह मुख्यतया दो भागों में विभक्त होता है। शाकपात और मांस। जब हम पशुओं की ओर निगाह डालते हैं तो दोनों ही तरह के जीव उनमें पाते हैं। गाय, बैल, भैंस, ऊँट, घोड़ा, हाथी, हिरण आदि पशु शाकाहारी हैं जो कि उपयोगी तथा शान्त होते हैं परन्तु सिंह, चीता, भालू, भेड़िया आदि पशु मांसाहारी होते हैं जो कि क्रूर एवं अनुपयोगी होते हैं। इनसे मनुष्य सहज में ही दूर रहना चाहता है।
इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मांसाहार क्रूरता को उत्पन्न करने वाला है किन्तु शाकाहार सौम्यता का सम्पादक। मनुष्य जबकि स्वयं शान्तिप्रिय है अतः उसे मांसाहार से दूर रहकर शाकाहार से ही अपना निर्वाह करना चाहिये। आज हम देख रहे हैं कि हमारे देशवासियों की प्रवृत्ति शाकाहार से उपेक्षित होकर मांसाहार की ओर बढ़ती जा रही है। आज से कुछ दिन पहले जिन जातियों में मांसाहारी व्यक्ति देखने को नहीं मिल रहा था वहीं पर आज बीस पच्चीस फीसदी आदमी मांस के आने वाले मिल जावेंगे। यह भी हमारे देश के लिए दुर्भाग्य का चिन्ह है जिससे कि लोग अन्नोत्पादन की तरफ विशेष ध्यान न देकर मछलियों के तथा मुर्गियों के अण्डों के उत्पादन की ही कोशिश में लगे हुए हैं। आश्चर्य तो इस बात का है कि जो देश अन्नोत्पादन का नाम नहीं जानते थे उन देशों में तो अन्न अब कसरत के साथ में उत्पन्न होने लग गया है। तो जो भारत सदा से अन्नोत्पादन का अभ्यासी रहा है उसी देश के वासी आज यह कहने लगे हैं कि खाने के लिये अन्न की कमी है अत: मछलियां पैदा की जावें । मैं तो कहता हूं कि इस बेढंगे प्रचार से कहीं ऐसा न हो जावे कि हम लोग अन्नोत्पादन का रहा सहा महत्व भी भूल जावें।
सुना जाता है कि एक बार अरब देश में बहुत भयंकर दुष्काल पड़ा। अन्न मिलना दुर्लभ हो गया अत: वहां के उस समय के देश नेता मुहम्मद साहब ने अपनी प्रजा को आपात्काल में मांस खाने के आदी बन गये तो उनकी निगाह में अब वह मांस खाना एक सिद्धान्त सा ही हो गया। मतलब यह कि एक बार मांस खाने की लत पड़ जाने से मनुष्य उसे छोड़ने के लिये लाचार हो रहता है। और अपनी आदतवश वह धीरे-धीरे मनुष्य के मांस को भी खाने लगा सकता है। एवं इस दुर्व्यसन का परिणाम बहुत विप्लवकारक हो रहता है। मानव को ही घोर दानवता पर पहुँचा देता है। अतः समझदार को चाहिये कि वह शुरू से ही इससे दूर रहे, केवल शाकाहार पर ही अपना जीवन निर्वाह करे।
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