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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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गुरु मार्ग में - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू ३१‍


संयम स्वर्ण महोत्सव

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Haiku (31).jpg

 

गुरु मार्ग में,

पीछे की वायु सम,

हमें चलाते।

 

हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।

 

आओ करे हायकू स्वाध्याय

  • आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं
  • आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं
  • आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं

लिखिए हमे आपके विचार

  • क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं
  • इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?

1 Comment


Recommended Comments

गुरू जो होते हैं वो हवा के जैसे हमें रास्ता बताते हैं जिस प्रकार हवा का रुक्ह हमें रास्ता बताता हैं उसी प्रकार गुरू हमारे जीवन में रास्ता बताते हैं जो की अदृश्य होता हैं गुरू के द्वारा बताया गया रास्ता केवल तभी समझ आता हैं जब हम उस पर चलते हैं |

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