देश की राजधानी नई दिल्ली में मना संयम स्वर्ण महोत्सव
अपराजेय साधक अन्तर्यात्री महापुरुष दिगम्बराचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महामुनिराज का 50वां संयम स्वर्ण महोत्सव दिनांक 15 अप्रैल को देश की राजधानी नई दिल्ली में आचार्य श्री के आज्ञानुवर्ती शिष्यों के सान्निध्य में भव्य तरीके से मनाया गया। कार्यक्रम के मंगल प्रेरणा स्त्रोत मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज तथा मुनि श्री प्रमाणसागर जी महाराज थे।
सी बी डी ग्राउंड, करकरडूमा में आयोजित इस कार्यक्रम में आचार्य श्री के शिष्य मुनिश्री प्रणम्य सागर जी महाराज, मुनिश्री चंद्र सागर जी महाराज, मुनि श्री वीर सागर जी महाराज, मुनि श्री विशाल सागर जी महाराज तथा मुनि श्री धवल सागर जी महाराज द्वारा सान्निध्य प्रदान किया गया। श्री सुधा-प्रमाण प्रभावना संघ, दिल्ली द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ श्री अशोक जी जैन पाटनी श्रीमती सुशीला जी जैन पाटनी, आर के मार्बल्स द्वारा ध्वजारोहण द्वारा किया गया।
संयम स्वर्ण महोत्सव कार्यक्रम में समारोह अध्यक्ष के रूप में श्री राजेन्द्र के गोधा, संपादक - समाचार जगत उपस्थित थे तथा मुख्य अतिथि के रूप में श्री प्रदीप जैन आदित्य, झांसी, श्री हुक़ूमसहन्द जैन काका, कोटा, श्री प्रमोद जैन कोयले वाले, श्री पंकज जैन पारस चैनल, श्री महावीर जी अष्टगे, आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मंगलाचरण के पश्चात आचार्य श्री की नृत्य एवं संगीतमय पूजन की गई जिसमें दिल्ली के विभिन्न स्थलों से आये महिला मंडल एवं बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में नवीन शाहदरा के महिला मंडल "जैन अपनापन फाउंडेशन" द्वारा मुख्य भूमिका निभाई गई। युवा साथी श्री सचिन जैन, श्री आशीष जैन तथा श्री नीरज जैन की अथक प्रयासों ने कार्यक्रम को चार चांद लगा दिए।
कार्यक्रम का संचालन भैया प्रदीप जैन "सुयश" तथा गौरव जैन छाबड़ा द्वारा किया गया तथा नीलेश जैन व पंकज जैन ने अपनी स्वर लहरियों से पूरे कार्यक्रम को बांधे रखा।
मुनिश्री वीरसागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में आचार्य श्री के गुणों की चर्चा करते हुए कहा कि गुरुवर में अपने पूर्ववर्ती आचार्य शांतिसागर जी महाराज, आचार्य वीरसागर जी, आचार्य शिवसागर जी तथा आचार्य ज्ञानसागर जी के गुणों को एकसाथ देखा जा सकता है।
मुनिश्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने गुरुवर के प्रति कविताओं के माध्यम से विनयांजलि प्रस्तुत की। नई दिल्ली में संयम स्वर्ण महोत्सव का आयोजन अपने आप में ऐतिहासिक रहा और दिल्ली जैन समाज में इस कार्यक्रम ने जबरदस्त छाप छोड़ी।
CA गौरव छाबड़ा
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जैसे ही आचार्य भगवंत के आशीर्वाद से पांच ऋषिराजो का जो अपनी तप संयम की साधना में कथंचित किसी भी तरह का दोष नही लगाते निर्दोष मुनि चर्या के पॉलक और वह भी अल्प उम्र के बाल ब्रह्मचारी मुनि जिनकी चेहरे की चमक देखते ही युवाओ की टोलियां की टोलियां उनके दर्शनार्थ आने लगी व्यस्को ने तो जैसे बगैर बोल सुने ही सब कुछ समझ लिया जैसे एक नवजात बच्चा अपनी माँ के अनकहे शब्दो की भली भांति समझने लगता है बृद्ध भी अपने आप को गौरवशाली मानने लगे कि चलो अंत समय ही सही सद ज्ञान और सच्चे वीतरागी श्रमण के दर्शन का सौभाग्य तो मिला
ऐसे ऋषिराजो के सानिध्य में सचिन आशीष और नीरज तीन युवाओ ने जगत पूज्य मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज एवं मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज के आशीर्वाद एवं निर्देशन में आचार्य भगवंत के संयम स्वर्ण महोत्सव का एक भव्यातिभव्य आयोजन को रखा चूंकि आयोजन दिल्ली की सर जमी पर था और सानिध्य था पाँच पाँच मुनिराजों का जो अपनी साधना के लिये प्रख्यात है सो आयोजको को समन्वय करने भी खाशी दुबिधा हो रही थी एक तरफ तो भीषण गर्मी थी दूसरी और संघ के साधुगण किसी भी तरह से पंखों का इस्तेमाल हवा के लिये नही करते है सो पांडाल में भी उसी तरह के माहौल को बनाया गया ताकि आने वाले देख कर अंदाजा लगा सके कि गर्मी में बगैर पंखे के बैठना भी साधना है ना कि वातानुकूलित कमरों में बैठ कर जप आदि करना
जैसे ही आयोजन प्रारम्भ हुआ भीड़ से पांडाल खचाखच भर गया और जब तक आयोजन चलता रहा मजाल था कि भीड़ में से कुछ भी व्यक्ति बाहर निकले हो अथार्त सभी व्यक्ति अंत अंत तक सभी मुनि राजो के मुँह से आचार्य भगवंत की दीक्षा के कुछ संस्मरणों को सुनने में ही लगे रहे जो कि दिल्ली जैसे शहर में एक नए इतिहास के बराबर है
मुनि श्री चंद्र सागर जी महाराज ने कहा कि मुझे तो उम्मीद भी नही थी जिस शहर के आदमी पिच्छी लगवाने को आतुर रहते यानि आश्रीवाद तो पिच्छी का ही मान है उस भौतिक चकाचौंध वाली नगरी के सभी लोग आज पीछे पीछे भागे आ रहे है
मुनिराजों के मंगल आशीष को सुन कर बीच बीच मे पांडालके बैठे श्रावको ने बार बार उत्साह पूर्वक तालियों से समर्थन किया जब यह कहा गया कि आप ने अभी जो परीक्षा दी है आप उसमे पास हो गए है यदि ऐसी ही ललक आप सभी में बनी रही तो पक्का है एक दिन आचार्य भगवंत स्वयं साक्षात दिल्ली आएंगे
आयोजन में शहर के बाहर से पधारे भक्तों ने भी दिल्ली शहर में होने वाले इस अविस्मरणीय आयोजन की खूब खूब तारीफ की मात्र कुछ ही दिनों में इतने बड़े आयोजन को करना ऐसे ही सम्भव तो नही किन्तु इस असम्भव कार्य को संभव किया एक टीम भावना से काम करने वाली कुछ महिलाओं के संघटन ने जिनका नाम जैन अपनापन फाउंडेशन था
श्री सुधा प्रमाण संघ के इन युवाओ ने जो महती प्रभावना पूर्ण कार्य को अंजाम दिया उसमे आने वाले सभी रहवासियों ने मुनिराजों की साधना का जमकर दीदार किया और प्रशंसा में खूब कसीदे कहे
अब लगता है वह दिन दूर नही जब दिल्ली से एक दो नही वरन सैकड़ों लोग आचार्य भगवंत के दर्शनों को इस भावना से करने अवश्य आये
कि-- जिसकी कृति है इतनी सुंदर
वो कितना सूंदर होगा
आयोजन समिति के सभी सदशयो को बार बार साधुवाद देते हुए उनके द्वारा किये गए इस अभूतपूर्व कार्य की सराहना करता हु और वीर प्रभु से अनुरोध करता हु कि मुनिराजों के द्वारा मनाए गए इस आयोजन की धूम से जैन धर्म का विस्तार हो और आचार्य भगवंत की जगत में जय जय कार हो
आचार्य भगवंत के चरणों मे सत सत नमन
श्रीश ललितपुर
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