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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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कछुवे सम - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू २९


संयम स्वर्ण महोत्सव

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haiku (29).jpg

 

 

कछुवे सम,

इन्द्रिय संयम से,

आत्म रक्षा हो।

 

भावार्थ - जिस प्रकार कछुवा संकट आने पर अपने अंगोपांग को संकुचित कर अपना जीवन सुरक्षित करता है । उसी प्रकार से देशव्रती और महाव्रती इन्द्रिय विषयों का त्याग करके अपनी आत्मा की रक्षा कर लेते हैं ।

आर्यिका अकंपमति जी 

 

हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।

 

आओ करे हायकू स्वाध्याय

  • आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं
  • आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं
  • आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं

लिखिए हमे आपके विचार

  • क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं
  • इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?

3 Comments


Recommended Comments

एक चित्र के माध्यम से अपने इन्द्रिय के बारेमे बहुत कुछ स्पष्ट किया ।

अति सुंदर ।।

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